COVID-19 : एक दर्जन डायग्नोस्टिक सेंटर ने आरटी - पीसीआर टेस्ट की अधिकतम दर 350 रुपये निर्धारित करने के राजस्थान सरकार के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी
जयपुर के एक दर्जन डायग्नोस्टिक सेंटर ने COVID-19 से संबंधित पीसीआर टेस्ट के लिए अधिकतम दर 350 रुपये निर्धारित करने के राज्य सरकार के आदेश को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती की अध्यक्षता वाली डिविजन बेंच द्वारा आज किये जाने की संभावना है।
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की गयी जांच दर डायग्नोस्टिक लेबोरेट्रीज की जांच पर आने वाली वास्तविक लागत से भी कम है और ऐसी स्थिति में वे उक्त दर पर टेस्ट करने में सक्षम नहीं हो पायेंगे।
याचिका में यह भी कहा गया है कि आरटी – पीसीआर जांच के लिए महंगी और उच्च गुणवत्ता वाली मशीनों की जरूरत होती है ताकि इच्छित और सही जांच परिणाम हासिल किया जा सके। इस जांच के लिए निम्नलिखित मोड एवं माध्यम की आवश्यकता होती है : -
1. स्वैब के ट्रासंपोर्ट के लिए वायरल ट्रांसमीशन मीडियम की आवश्यकता होती है, जिसकी लागत 20 से 25 रुपये है।
2. आरएनए एक्सट्रैक्शन किट, जो सैम्पल से जेनेटिक मेटेरियल सिंगल स्टैण्डेड आरएनए को अलग करता है, इसकी लागत करीब 100 से 115 रुपये है।
3. सैम्पल में वायरस के आरएनए की मौजूदगी का पता लगाने वाली आरटी – पीसीआर किट की लागत करीब 110 से 130 रुपये है।
4. कंज्यूमेबल पदार्थ (सभी प्रकार के प्लास्टिक उत्पाद) – इस पर करीब 100 रुपये की लागत है।
5. अन्य लागत जैसे – श्रम शक्ति आदि – इस पर करीब 80 से 100 रुपये की लागत आती है।
6. पीपीई किट्स, मास्क आदि – इस पर करीब 100 से 150 रुपये की लागत आती है।
याचिका में यह दलील दी गयी है कि जांच प्रयोगशालाओं को प्रति टेस्ट कम से कम 620 रुपये खर्च आता है, जिसमें अत्यधिक महंगी मशीनें और उपस्कर की खरीद पर आने वाला पूंजीगत व्यय, प्रशासकीय खर्च और मरम्मत एवं रखरखाव पर आने वाला व्यय आदि शामिल नहीं हैं।
याचिका में उल्लेख किया है कि समय - समय पर सरकार ने अलग – अलग अधिसूचनाएं जारी करके टेस्ट की दर साढे चार हजार रुपये से घटाकर 350 रुपये कर दी है।
याचिका में कहा गया है, "यह कदम पूरी तरह से एकतरफा है और बिना सोचे विचारे उठाया गया है। इसमें प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का न केवल उल्लंघन हुआ है, बल्कि याचिकाकर्ताओं द्वारा विस्तृत प्रतिनिधित्व के जरिये आग्रह किये जाने के बावजूद उनसे कोई भी विचार विमर्श नहीं किया गया, जबकि आरटी – पीसीआर टेस्ट के जरिये COVID-19 के जांच अभियान की सम्पूर्ण प्रक्रिया में ये याचिकाकर्ता महत्वपूर्ण साझेदार हैं।"
याचिकाकर्ताओं ने COVID-19 के लिए आरटी – पीसीआर टेस्ट के मूल्य / प्रभार की अधिकतम सीमा निर्धारित करने की राज्य सरकार की कार्रवाई को गैर - कानूनी और निरंकुश तथा अधिकार क्षेत्र से बाहर घोषित करने का हाईकोर्ट से अनुरोध किया है।