'तीर्थयात्रा पर जाने वाले लोगों का कोर्ट का संज्ञान नहीं लेता': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्‍थगन की मांग करने पर जुर्माना लगाया

Update: 2021-01-26 13:24 GMT

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सोमवार को स्पष्ट किया कि तीर्थयात्रा के लिए जाना कानून की अदालत में स्थगन की मांग करने कोई आधार नहीं है।

बार में एक अनुरोध के उत्तर में, जिसमें जमानत जमानत अर्जी को इस आधार पर स्‍थगित करने की मांग की गई थी कि सभी वकील तीर्थ यात्रा पर चले गए हैं, जस्टिस डीके सिंह की एकल पीठ ने कहा, "यह न्यायालय तीर्थ यात्रा पर जाने वालों का संज्ञान नहीं लेता है।"

खंडपीठ ने ओम प्रकाश त्रिपाठी की ओर से दायर आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसे पुलिस ने केस क्राइम नंबर 632/2019 के तहत, एक्साइज एक्ट की धारा 60/63 और आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 के तहत पकड़ा था।

जब मामला 25 जनवरी 2021 को सुनवाई के लिए आया तो मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया गया, क्योंकि सभी वकील शिरडी की तीर्थ यात्रा के लिए गए थे। अदालत ने अनुरोध को अनुमति दी, हलांकि इस प्रकार के अपवाद के लिए 3000 रुपए का जुर्माना लगाया।

बेंच ने कहा, "यह न्यायालय तीर्थयात्रा के लिए जाने वाले लोगों का संज्ञान नहीं लेता है, लेकिन अनुरोध पर विचार करते हुए, जुर्माने के साथ मामले को 28.01.2021 के लिए स्थगित करना उचित होगा। तदनुसार, यह मामला अगली तारीख से पहले तीन हजार रुपए के जुर्माने के साथ स्थगित किय गया, जिसे अवध बार एसोसिएशन के पास जमा करना होगा।"

केस टाइटल: ओम प्रकाश त्रिपाठी बनाम यूपी राज्य

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