युगल ने दो विवाह समारोह आयोजित किए, सप्तपदी के जरिए बाद में विवाह किया: गुजरात हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार को तिथि में परिवर्तन के लिए आवेदन पर विचार करने का आदेश दिया
गुजरात हाईकोर्ट ने एक रिट याचिका को अनुमति दी है, जिसमें विवाह पंजीयक को एक नया विवाह प्रमाण पत्र जारी करने के लिए याचिकाकर्ताओं के आवेदन पर विचार करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।
विवाह प्रमाणपत्र पर उस तारीख के बजाय, जिसमें जोड़े ने एक छोटी सी सभा की मौजूदगी में एक दूसरे को वरमाला पहनाई थी, उस तारीख का उल्लेख किया गया है, जिसमें 'सप्तपदी' के साथ धूमधाम से शादी की गई थी।
COVID-19 की महामारी और सार्वजनिक स्तर पर भीड़ जुटाए जाने पर सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण, रिट आवेदकों ने बहुत कम संख्या में रिश्तेदारों की मौजूदगी के साथ विवाह किया। शादी का निमंत्रण तैयार नहीं हुआ था और जोड़े ने केवल मालाओं का आदान-प्रदान, मंगलसूत्र बांधने और सिंदूर लगाने की रस्में निभाईं। हालांकि, "दत्त होमा" और "सप्तपदी" का आयोजन नहीं किया गया था।
इसके बाद, 19.12.2021 को, एक धूमधाम से शादी का आयोजन किया गया, जिसमें "दत्त होमा" और "सप्तपदी" की रस्में निभाई गईं। इस प्रकार, युगल ने विवाह प्रमाण पत्र की तारीख को 17.07.2021 से 19.12.2021 परिवर्तित करने की मांग की थी।
आवेदक ने इसी तरह के तथ्यों और परिस्थितियों के साथ हाईकोर्ट की समन्वय पीठ के एक निर्णय पर भरोसा किया, जिसमें हाईकोर्ट ने उन समस्याओं को नोट किया था जो आवेदक को जर्मनी में अपने पति के साथ रहने में पेश आ रही थी और जोड़े को तिथि में परिवर्तन के लिए एक नया आवेदन देने की अनुमति दी गई थी।
इस बीच, प्रतिवादी अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि यदि आवेदक ने विवाह प्रमाण पत्र में तारीख में बदलाव की मांग की है तो प्राधिकरण चार सप्ताह के भीतर इस पर फैसला करेगा।
तदनुसार, खंडपीठ ने विवाह की तारीख को 17.07.2021 से 19.12.2021 करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देकर अनच्छेद 226 के तहत अपने असाधारण अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने की इच्छुक दिखी। नतीजतन, पहले के विवाह प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया जाना चाहिए।
केस शीर्षक: रिचा पत्नी कुशल मिस्त्री और पुत्री हेमंतकुमार अध्वार्यु बनाम गुजरात राज्य
केस नंबर: C/SCA/5745/2022