पेंशन प्राप्त करने की पात्रता से छह महीने पहले निर्माण श्रमिकों के आवेदन स्वीकार करने पर विचार करें: दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड से कहा

Update: 2023-01-15 10:46 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह पेंशन प्राप्त करने की पात्रता पाने से छह महीने पहले कंस्ट्रक्‍शन वर्कर्स के आवेदन स्वीकार करने पर विचार करे।

जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि चूंकि बि‌‌‌‌ल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्‍शन वर्कर्स एक्ट 1996 और रूल्स उस समय अवधि के बारे में मौन हैं, जिस दरमियान श्रमिकों को 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद पेंशन स्वीकृत की जानी चाहिए। यदि उन्हें पेंशन प्राप्त करने के लिए पात्र होने से छह महीने पहले आवेदन जमा करने की अनुमति दी जाती है तो बहुत सी असुविधाओं से बचा जा सकेगा।

कोर्ट ने कहा,

"इसलिए, प्रतिवादी बोर्ड को निर्माण श्रमिकों के पेंशन प्राप्त करने के लिए पात्र होने से छह महीने पहले उनके आवेदनों को स्वीकार करने पर विचार करने का निर्देश दिया जाता है ताकि एक बार जब वे अधिवर्षिता की आयु तक पहुंच जाएं तो उनकी पेंशन जल्द से जल्द, बिना किसी देरी के स्वीकृत की जा सके।"

अदालत बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड में विधिवत पंजीकृत एक कंस्ट्रक्‍शन वर्कर्स की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने 18% प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ अपनी पेंशन जारी करने की मांग की थी।

हालांकि, विवाद पर बोर्ड के वकील ने आपत्ति जताई, जिन्होंने कहा कि देरी के लिए प्रतिवादी बोर्ड को दोष नहीं दिया जा सकता है।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस पल्ली ने कहा कि बोर्ड का यह आग्रह उचित था कि याचिकाकर्ता की ओर से आवश्यक दस्तावेज जमा किए बिना पेंशन स्वीकृत नहीं की जा सकती है और इसलिए, यह नहीं कहा जा सकता है कि उसकी ओर से पेंशन स्वीकृत करने में कोई अत्यधिक देरी हुई थी।

कोर्ट ने कहा,

"भले ही, अधिनियम और नियम दोनों उस समय अवधि के बारे में मौन हैं, जिसके भीतर पेंशन स्वीकृत की जानी चाहिए, मेरे विचार में प्रतिवादी, जो इन निर्माण श्रमिकों के पक्ष में पेंशन का वितरण करने के लिए एक वैधानिक कर्तव्य के साथ जुड़ा हुआ है, जो समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए शीघ्र कदम उठाने चाहिए कि उन्हें जल्द से जल्द पेंशन जारी की जाए।”

हालांकि, पीठ ने कहा कि यह न्याय के हित में होगा कि याचिकाकर्ता को पिछले साल 5 अगस्त को अपने दस्तावेज जमा करने की तारीख से "45 दिनों की छूट के बाद" विलंबित पेंशन राशि पर ब्याज का भुगतान किया जाए।

"रिट याचिका, तदनुसार, प्रतिवादी को 21.09.2022 (05.08.2022 से 45 दिनों को छोड़कर) से पेंशन की विलंबित राशि पर 6% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करने का निर्देश देकर निस्तारित की जाती है।"

केस टाइटल: राजो बनाम दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड और अन्य।

साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (दिल्ली) 42

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