भारत आने के बाद ही जमानत पर सुनवाई होगी: केरल हाईकोर्ट ने रेप केस मामले में एक्टर-प्रोड्यूसर विजय बाबू से कहा

Update: 2022-05-23 11:14 GMT

केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को मौखिक रूप से मलयालम अभिनेता-निर्माता विजय बाबू को भारत लौटने के लिए अपना टिकट पेश करने के लिए कहा ताकि अभिनेत्री द्वारा उस पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाले मामले में अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की जा सके।

जस्टिस गोपीनाथ पी. ने मौखिक रूप से अभिनेता को अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया।

कथित तौर पर शिकायतकर्ता ने अपने बयान में उल्लेख किया,

"वह मेरे लिए राक्षस की तरह था।"

उसके बयान के अनुसार, जब वह इंडस्ट्री में नई थीं तो अभिनेता ने 'दोस्ताना सलाह देकर उसका विश्वास हासिल किया'। उसने कहा कि जब व्यक्तिगत और पेशेवर मुद्दों की बात आती है तो उसने उसका 'उद्धारकर्ता' होने की आड़ में उसका यौन शोषण किया।

अभिनेता के खिलाफ एर्नाकुलम पुलिस में शिकायत दर्ज की गई है। इस बीच अभिनेता ने फेसबुक लाइव आकर अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया। हालांकि, इस लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान, उसने शिकायतकर्ता के नाम का खुलासा किया, जिसके कारण और प्रतिक्रिया हुई। पब्लिक प्लेटफॉर्म पर पीड़िता का नाम उजागर करने के लिए अभिनेता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 228ए के तहत अलग मामला दर्ज किया गया है।

इस महीने की शुरुआत में आरोप सामने आने के बाद से फरार चल रहे अभिनेता के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया था।

एडवोकेट एस. राजीव के माध्यम से दायर अपनी जमानत याचिका में उसने कहा कि उसने केरल पुलिस के लिए विज्ञापन किया था, जिसमें शिकायतकर्ता उसकी सह-कलाकार थी।

उसके अनुसार, वह मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में अधिक अवसरों की तलाश में उनसे बार-बार संपर्क कर रही थी। हालांकि वह समझाता रहा कि कास्टिंग में उसकी कोई भूमिका नहीं है, लेकिन शिकायतकर्ता कथित तौर पर उससे संपर्क करती रही।

बाद में जब याचिकाकर्ता फिल्म 'होम' का निर्माण कर रहा था तो शिकायतकर्ता ने स्पष्ट रूप से उससे उसके नाम की सिफारिश करने का अनुरोध किया, जिसे उसने स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया। याचिका के अनुसार, उसने उसे ऑडिशन में भाग लेने के लिए कहा, यदि वह इच्छुक है।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता उसे फोन करती रही और उसे कई मैसेज करती रही। उसने दावा किया कि उसने शिकायतकर्ता द्वारा भेजे गए इन सभी मैसेज, पिक्चर्स और वीडियो को सेव कर लिया और वह जांच एजेंसी के समक्ष इसे पेश करने को तैयार है।

उसके अनुसार शिकायतकर्ता यह झूठा मामला दर्ज कर केवल उसे ब्लैकमेल करने का प्रयास कर रही है। उसने कहा कि शिकायतकर्ता किसी के भी खिलाफ आरोप लगाने के लिए स्वतंत्र हो सकता है, वैधानिक अधिकारियों का कर्तव्य है कि शिकायत के आधार पर किसी व्यक्ति को कलंकित या बदनाम करने से पहले आरोप की सच्चाई का पता लगाया जाए, जिसकी पुष्टि नहीं की जा सकती।

अभिनेता ने प्रस्तुत किया कि उसे गिरफ्तारी की प्रबल आशंका है, क्योंकि पुलिस अधिकारी कथित रूप से मीडिया रिपोर्टों द्वारा निर्देशित होते हैं। उसका आरोप है कि मीडिया के दबाव और मीडिया के लिए खबरें बनाने के लिए अधिकारी उसे गिरफ्तार करना चाहते हैं।

विजय बाबू ने यह भी तर्क दिया कि मामले के सभी विवरण सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया पर एफआईएस या एफआईआर अपलोड होने से पहले ही उपलब्ध थे, जो उसके अनुसार पुलिस और मीडिया के बीच अपवित्र गठजोड़ को साबित करता है।

तदनुसार, उन्होंने अदालत से सीआरपीसी की धारा 438 के तहत सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है।

केस टाइटल: विजय बाबू बनाम केरल राज्य और अन्य।

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