विकलांग बच्चे केंद्रीय विद्यालयों में यूनिफॉर्म, कंप्यूटर फीस और परिवहन जैसी सुविधाओं के हकदार: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2022-12-15 05:30 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा कि विकलांग बच्चे, विकलांग बच्चों के अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत केंद्रीय विद्यालयों में यूनिफॉर्म, कंप्यूटर फीस और परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाओं के हकदार हैं।

जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा,

"विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों को दी गई मान्यता को ध्यान में रखते हुए, इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता है कि ये सुविधाएं विशेष रूप से केंद्रीय विद्यालय स्कूलों में प्रदान की जानी चाहिए, जो कि देश भर में मौजूद सरकारी स्कूल हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विकलांग बच्चे उचित शिक्षा से वंचित नहीं हैं।"

कोर्ट नोएडा के एक केंद्रीय विद्यालय में छठी कक्षा में पढ़ने वाले एक छात्र की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अधिनियम के अनुसार किताबें, शिक्षण सामग्री, सहायक उपकरण और परिवहन और कंप्यूटर फीस की छूट की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ता का कहना है कि 13 और 22 अक्टूबर 2020 को आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम के तहत मुख्य आयुक्त द्वारा पारित आदेशों के बावजूद स्कूल द्वारा सुविधाएं नहीं दी गईं।

मुख्य आयुक्त ने कहा था कि याचिकाकर्ता को किताबें, सीखने की सामग्री, यूनिफॉर्म के साथ-साथ मुफ्त शिक्षा और स्क्राइब की सुविधा दी जाएगी।

केंद्रीय विद्यालय संगठन और स्कूल ने एक स्टेट्स रिपोर्ट दायर की गई थी जिसमें बताया गया था कि याचिकाकर्ता द्वारा अनुरोधित सभी वस्तुएं नाबालिग के पिता को प्रदान की गई थीं। कोर्ट को बताया गया कि सत्र 2021-22 की ऑफलाइन परीक्षा के दौरान नाबालिग को स्क्राइब या रीडर उपलब्ध कराया गया था और भविष्य में भी ऐसा ही किया जाएगा।

हालांकि, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने अदालत को अवगत कराया कि बच्चे को आज तक यूनिफॉर्म, कंप्यूटर फीस और परिवहन की छूट नहीं दी गई।

RPWD अधिनियम, 2016 की धारा 16 और 17 का अवलोकन करते हुए जस्टिस सिंह ने कहा,

"उक्त प्रावधानों के अवलोकन से पता चलता है कि यूनिफॉर्म, कंप्यूटर फीस और परिवहन जैसी सुविधाएं क़ानून के अंतर्गत आती हैं।"

अदालत ने इस प्रकार स्कूल को निर्देश दिया कि वह दो सप्ताह की अवधि के भीतर याचिकाकर्ता को मुफ्त यूनिफॉर्म प्रदान करे और कंप्यूटर फीस भी माफ कर दे।

अदालत ने कहा,

"जहां तक परिवहन खर्च का संबंध है, प्रतिवादी नंबर 4 को सुनवाई की अगली तारीख पर कोई परिवहन सुविधा प्रदान नहीं करने के लिए कहा गया है। याचिकाकर्ता के वकील याचिकाकर्ता द्वारा किए गए परिवहन खर्च के रूप में प्रस्तुत करेंगे।"

जस्टिस सिंह ने केंद्र को आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम, 2016 की धारा 16 और 17 के संदर्भ में परिवहन लागत और अन्य सुविधाओं के संबंध में किए जाने वाले उपायों के बारे में एक स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च, 2023 को सूचीबद्ध करते हुए कहा,

"अगर याचिकाकर्ता को आज के निर्देशानुसार आवश्यक सुविधाएं प्रदान नहीं की जाती हैं, तो वह एक आवेदन के माध्यम से अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र है।"

केस टाइटल: मनीष लेनका बनाम भारत सरकार एंड अन्य

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