आपराधिक जांच के दौरान आरटीआई अधिनियम के तहत आवेदक द्वारा लिखित उत्तर लिपियों की प्रमाणित प्रतियां दी जा सकती हैं: कर्नाटक हाईकोर्ट

Update: 2022-04-26 11:40 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग (State Information Commission) के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसने प्राधिकरण को वर्ष 2013 में सहायक लोक अभियोजक (Assistant Public Prosecutor) के पद के लिए आवेदक द्वारा लिखित उत्तर लिपियों की प्रमाणित प्रतियां प्रदान करने का निर्देश दिया था।

एपीपी सह एजीपी भर्ती समिति के सदस्य सचिव ( The Member Secretary of APP Cum AGP Recruitment Committee) और अभियोजन निदेशक ( Director of Prosecution) ने 30 जून, 2016 के आदेश पर सवाल उठाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसके द्वारा आयोग ने जी. विजया कुमार (प्रतिवादी नंबर दो) द्वारा दायर दूसरी अपील की अनुमति दी थी। साथ ही अधिकारियों को उनके द्वारा लिखित 31-08-2013 और 01-09-2013 को आयोजित उत्तर पुस्तिका-लेट (मुख्य परीक्षा) की प्रमाणित प्रतियां उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।

सरकारी वकील बीवी कृष्णा ने प्रस्तुत किया कि लोकायुक्त पुलिस द्वारा मामले की जांच की जा रही है और मूल उत्तरपुस्तिकाओं को लोकायुक्त पुलिस द्वारा पहले ही जब्त कर लिया गया है, उन्हें प्रतिवादी नंबर दो की उत्तर पुस्तिकाओं की प्रमाणित प्रति प्रदान की जाएगी।

उन्होंने तर्क दिया कि मांगी गई जानकारी सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 8 की उप-धारा (1) के खंड (एच) के तहत छूट के अंतर्गत आती है।

आयोग की ओर से पेश एडवोकेट राजा शेखर के ने कहा कि कुमार ने केवल उत्तर पुस्तिकाओं की प्रमाणित प्रति मांगी थी और चूंकि मूल प्रतियां पहले से ही लोकायुक्त के पास हैं, इसलिए इसकी एक प्रति देने से जांच में कोई बाधा नहीं आएगी।

न्यायालय के निष्कर्ष:

पीठ ने धारा 8(1)(एच) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है: (एच) सूचना अपराधियों की जांच या गिरफ्तारी या अभियोजन की प्रक्रिया को बाधित करेगी।

यह नोट किया गया कि लोकायुक्त पुलिस द्वारा अपराध नंबर 59/2015 की कार्यवाही में कुमार सहित संपूर्ण मूल उत्तरपुस्तिकाओं को पहले ही जब्त कर लिया गया है। इसलिए यह देखा गया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा रखी गई जेरोक्स कॉपी से उत्तर लिपियों की प्रमाणित प्रति प्रदान करना किसी भी तरह से जांच की प्रक्रिया को बाधित नहीं करेगा।

इसमें कहा गया,

"प्रतिवादी नंबर दो किसी अन्य उम्मीदवार की उत्तरपुस्तिकाओं की प्रति नहीं बल्कि स्वयं की मांग कर रहा है।"

जिसके बाद कोर्ट ने कहा,

"मामले के उस दृष्टिकोण में मुझे प्रतिवादी नंबर एक द्वारा पारित आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिलता है, जिसने केवल प्रतिवादी नंबर दो को इसका निरीक्षण करने की अनुमति दी है। तदनुसार, यह रिट याचिका में योग्यता का अभाव है और इसे खारिज किया जाता है।"

केस शीर्षक: ए पी पी सह अगप भर्ती समिति के सदस्य सचिव बनाम कर्नाटक राज्य सूचना आयोग

केस नंबर: 2016 की रिट याचिका नंबर 57977

साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (कर) 134

आदेश की तिथि: अप्रैल, 2022 का 13वां दिन

उपस्थिति: याचिकाकर्ताओं के लिए आगा बी.वी.कृष्ण; R1 . के लिए एडवोकेट राजशेखर के

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