सीसीआई ने फ्यूचर ग्रुप के साथ ऐमजॉन की डील की मंजूरी पर रोक लगाई, उल्लंघन के लिए ऐमजॉन पर 200 करोड़ रुपये का जुर्माना
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने ऐमजॉन और फ्यूचर ग्रुप के बीच हुई डील को दी गई मंजूरी पर रोक लगा दी है।
सीसीआई ने 17 दिसंबर को पारित 57 पन्नों के आदेश में कहा कि 28 दिसंबर 2019 के आदेश के अनुसार ऐमजॉन डॉट कॉम एनवी इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स एलएलसी द्वारा फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी प्राप्त करने की डील हुई थी, जिस पर अब रोक रहेगी।
सीसीआई ने यह मानते हुए कि ऐमजॉन ने कुछ प्रासंगिक जानकारी छुपाकर अनुमोदन प्राप्त किया, यह आदेश पारित किया।
सीसीआई ने कहा कि,
ऐमजॉन ने 2019 के सौदे के "वास्तविक उद्देश्य और विवरण" को छुपा लिया था और "गलत प्रतिनिधित्व और भौतिक तथ्यों को दबाने" का प्रयास किया। सीसीआई ने कहा कि अब इस सौदे की नए सिरे से जांच करना जरूरी है और कहा कि इसकी मंजूरी पर तक रोक रहेगी।
ऐमजॉन पर 200 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
आदेश में कहा गया है,
"अधिनियम की धारा 45 की उप-धारा (2) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, आयोग एतद्द्वारा ऐमजॉन को इस आदेश की प्राप्ति से 60 दिनों की अवधि के भीतर फॉर्म II में नोटिस देने का निर्देश देता है, और, इस तरह की नोटिस के निस्तारण तक, 28 नवंबर, 2019 को संयोजन पंजीकरण संख्या सी-2019/09/688 में दिए गए आदेश के तहत दी गई मंजूरी स्थगित रहेगी।"
सीसीआई ने आदेश में कहा,
"...उपरोक्त चर्चा किए गए सभी उल्लंघन संयोजन के वास्तविक दायरे और उद्देश्य को छुपाने के लिए ऐमजॉन की ओर से सोचेसमझे मंसूबे से पैदा हुए हैं ...परिणामस्वरूप, आयोग अधिनियम की धारा 44 और धारा 45 के प्रावधानों के तहत एक-एक करोड़ रुपये का अधिकतम जुर्माना लगाना उचित समझता है। तदनुसार, ऐमजॉन को भारतीय रुपये में दो करोड़ का जुर्माना देने का निर्देश दिया जाता है।"
सीसीआई ने यह कहकर 200 करोड़ रुपये का और जुर्माना लगाया,
"अधिनियम की धारा 6(2) के तहत डाले गए दायित्व के संदर्भ में संयोजन को सूचित करने में विफलता के संबंध में, अधिनियम की धारा 43ए आयोग को जुर्माना लगाने में सक्षम बनाती है, जो ऐसे संयोजन के कुल कारोबार या संपत्ति के एक प्रतिशत तक हो सकती है, इनमें से जो भी अधिक हो। इस प्रकार, उपर्युक्त कारणों से आयोग ऐमजॉन पर दो सौ करोड़ रुपये का जुर्माना लगाता है"।
CAIT (कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स) नामक खुदरा विक्रेताओं के एक संगठन ने ऐमजॉन-फ्यूचर सौदे के खिलाफ सीसीआई को शिकायत की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर को सीसीआई से कहा था कि वह CAIT की शिकायत पर जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए ऐमजॉन को दो और सप्ताह का समय दे।
सीसीआई ने इस साल जुलाई में फ्यूचर ग्रुप द्वारा दायर शिकायतों पर फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड (एफसीपीएल) के साथ निवेश लेनदेन के लिए अमेरिकी कंपनी को दी गई मंजूरी को रद्द करने के मुद्दे पर ऐमजॉन को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम और अमित सिब्बल ने सीसीआई के समक्ष ऐमजॉन का प्रतिनिधित्व किया। फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे और रामजी श्रीनिवासन ने किया । CAIT की ओर से सीनियर एडवोकेट कृष्णन वेणुगोपाल और सौरभ कृपाल पेश हुए।
ऐमजॉन-फ्यूचर सौदे ने भारत में कई दौर की मुकदमेबाजी को जन्म दिया है। ऐमजॉन ने रिलायंस समूह के साथ फ्यूचर रिटेल के सौदे को रोकने के लिए सिंगापुर में मध्यस्थता की कार्यवाही शुरू की थी। फ्यूचर-रिलायंस सौदे को रोकने के लिए सिंगापुर आर्बिट्रेटर ने एक आपातकालीन अवॉर्ड पास किया था। इसे एफआरएल ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। अंतत: मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जिसने सिंगापुर आर्बिट्रेटर द्वारा पारित आपातकालीन अवॉर्ड को मंजूरी दे दी।
9 सितंबर, 2021 को, सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित किया, जिसमें एनसीएलटी, सेबी आदि जैसे 9 प्राधिकरणों को फ्यूचर-रिलायंस सौदे पर अंतिम आदेश पारित नहीं करने का निर्देश दिया गया था।