''तोड़फोड़ हुई संपत्ति को उसी तरह नहीं छोड़ा जा सकता, आपको यहां समय चाहिए'' : कंगना रनौत मामले में बाॅम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी से कहा
बांद्रा के पाली हिल स्थित कंगना रनौत के बंगले में बनाए गए कार्यालय को ध्वस्त करने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बाॅम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि अदालत आंशिक रूप से ध्वस्त संपत्ति को ऐसे नहीं छोड़ सकती और पीठ शुक्रवार से कंगना के मामले की सुनवाई शुरू करेगी।
इस मामले में एमसीजीएम अधिकारी भाग्यवंत लेट के वकील ने कोर्ट से हलफनामा दायर करने के लिए कुछ और समय दिए जाने की मांग की थी।
न्यायमूर्ति एसजे कथावाला और न्यायमूर्ति आरआई छागला की पीठ ने कहा कि-
''हम आंशिक रूप से ध्वस्त घर को उसी स्थिति में नहीं छोड़ सकते हैं। हम कल से याचिकाकर्ता के पक्ष को सुनना शुरू कर देंगे, आपको यहां और समय की आवश्यकता है अन्यथा, आप बहुत तेज हैं।''
भाग्यवंत लेट नगर निगम के नामित अधिकारी हैं, जिन्होंने अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर अभिनेत्री कंगना रनौत के पाली हिल स्थित उस बंगले में तोड़फोड़ की थी, जिसे कंगना ने कार्यालय के रूप में तब्दील कर दिया था। इस अधिकारी को राज्यसभा सांसद संजय राउत के साथ मामले में एक पक्षकार बनाया गया था।
संजय राउत की ओर से पेश हुए एडवोकेट प्रदीप थोराट ने भी हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय मांगा क्योंकि उनके मुविक्कल अभी संसद सत्र में भाग लेने के लिए दिल्ली गए हुए हैं।
अदालत ने हलफनामा दाखिल करने के लिए राउत और भाग्यवंत को अगले मंगलवार तक का समय देते हुए कहा कि-
''चूंकि मानसून शुरू हो गया है और बंगले को आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया गया है, इसलिए सुनवाई में और देरी नहीं की जा सकती है। इसलिए हम याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को कल से बहस शुरू करने की अनुमति देंगे।''
इस मामले में अब कल दोपहर 3 बजे सुनवाई की जाएगी।
पिछले मंगलवार को अदालत ने राज्यसभा सांसद और शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत को इस मामले में एक पक्षकार के तौर पर शामिल होने की अनुमति दे दी थी क्योंकि अभिनेत्री ने एक वीडियो का हवाला दिया है,जिसमें राउत कथित तौर पर उसे अपमानित कर रहे हैं। वहीं अभिनेत्री ने यह भी आरोप लगाया है कि ग्रेटर मुंबई नगर निगम ने उसके खिलाफ यह कार्रवाई दुर्भावना के चलते की है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि एमसीजीएम ने उसके बंगले को गिराने के लिए जो कार्रवाई की थी, वह निंदनीय और दुर्भावनापूर्ण इरादे से की थी। इसके लिए याचिकाकर्ता ने संजय राउत द्वारा 5 सितंबर, 2020 को दिए एक साक्षात्कार के वीडियो क्लिप का भी हवाला दिया है, जिसमें उसने कथित रूप से याचिकाकर्ता को अपमानित किया गया है। याचिकाकर्ता ने एक समाचार पत्र 'सामना' में 10 सितम्बर 2020 को प्रकाशित एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया है। जो याचिकाकर्ता के बंगले में की गई तोड़फोड़ के बाद 'उखाड़ दिया' नामक शीर्षक से छापी गई थी,जबकि इस समाचार पत्र में राउत कार्यकारी संपादक हैं।
इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि भाग्यवंत ने बदनीयत और दुर्भावनापूर्ण इरादे से उसको संपत्ति ध्वस्त करने का नोटिस/आदेश जारी किया था और उसके बंगले को ध्वस्त करने की कार्रवाई भी की। इसलिए, अदालत ने भाग्यवंत को इस मामले में एक पक्षकार के तौर पर शामिल होने की अनुमति दी है ताकि वह अपनी व्यक्तिगत क्षमता में अपना बचाव कर सकें।