'ऐसे लोग बचने नहीं चाहिए': मेघालय हाईकोर्ट ने राज्य पुलिस को सोशल मीडिया पर COVID-19 वैक्सीन के बारे में झूठी अफवाहें फैलाने वाले लोगों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए
मेघालय हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य पुलिस को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर COVID-19 वैक्सीन के प्रभाव के बारे में झूठी अफवाहें फैलाने वाले लोगों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
न्यायालय राज्य सरकार द्वारा दुकानदारों, विक्रेताओं, स्थानीय टैक्सी चालकों आदि के लिए अपना व्यवसाय फिर से शुरू करने से पहले टीकाकरण अनिवार्य करने के आदेश के संबंध में एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर फैसला सुना रहा था।
कोर्ट ने इससे पहले फैसला सुनाया था कि अनिवार्य या जबरदस्ती टीकाकरण कानूनी रूप से गलत है और इसलिए इसे शुरू से ही अल्ट्रा वायर्स घोषित किया जाना चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने नागरिकों के बीच टीकाकरण को प्रोत्साहित करने और इस संबंध में उनके मन से किसी भी आशंका को दूर करने के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए थे।
मुख्य न्यायाधीश विश्वनाथ सोमद्दर और न्यायमूर्ति एच.एस. थांगख्यू ने सोमवार को मेघालय सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग द्वारा अपने पहले के आदेशों के अनुसार दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया।
बेंच ने पाया कि स्टेटस रिपोर्ट में टीकों की प्रभावकारिता के बारे में झूठी अफवाहें फैलाने वाले व्यक्तियों को दंडित करने के लिए राज्य पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों से संबंधित कोई जानकारी नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि,
"रिपोर्ट में मेघालय पुलिस द्वारा उठाए गए किसी भी कदम के बारे में नहीं बताया गया है। विशेष रूप से उन लोगों की पहचान करने और उन लोगों को बुक किया जा सके जो टीकों की प्रभावकारिता के संबंध में विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करके झूठी अफवाहें फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं, इसके लिए यह उठाए गए कदमों की जानकारी जरूरी है। मेघालय राज्य में वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट और भय प्राथमिक कारणों में से एक है।"
कोर्ट ने कहा इसके अलावा कि इस तरह की झूठी अफवाहें फैलाने वाले लोग बचने नहीं चाहिए और तदनुसार मेघालय पुलिस अधिकारियों को ऐसे व्यक्तियों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने आगे कहा कि,
"मेघालय पुलिस उन्हें आसानी से पकड़ सकती है (बशर्ते पास ऐसा करने की इच्छा हो), क्योंकि ये सभी हमेशा विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं, जिससे एक इलेक्ट्रॉनिक निशान छूट जाता है।"
महाधिवक्ता को मामले को गंभीरता से लेने और सुनवाई की अगली तारीख पर मेघालय पुलिस द्वारा इस संबंध में किए गए उपायों के बारे में अदालत को अवगत कराने का आदेश दिया गया है।
मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी।
केस का शीर्षक: रजिस्ट्रार जनरल, उच्च न्यायालय बनाम मेघालय राज्य