सरकारी नौकरी के लिए उम्मीदवार रात-रात भर मेहनत करते हैं, प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार से सख्ती से निपटा जाना चाहिए: गुजरात हाईकोर्ट
गुजरात हाईकोर्ट ने कहा है कि कई उम्मीदवार सरकारी नौकरी पाने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए रात-रात भर तक मेहनत करते हैं और इसलिए, ऐसी परीक्षाओं में किसी भी कदाचार, दुर्व्यवहार और धोखाधड़ी से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।
जस्टिस हसमुख डी सुथार की पीठ ने अजयराज मीना नामक व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की, जिस पर फर्जी दस्तावेज बनाकर सह-अभियुक्त (उदयराज बृजलाल मीना) की ओर से क्लर्क के पद के लिए प्रतियोगी परीक्षा में बैठने का आरोप है।
जांच दस्तावेजों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने कहा कि कथित अपराध वर्ष 2014 में किया गया था और मामले में एफआईआर और आरोप पत्र वर्ष 2016 में दायर किया गया, हालांकि, आवेदक आज तक यानी पिछले 7 साल से फरार चल रहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी ने सक्रिय भूमिका निभाई है और मामले में गुणात्मक जांच आवश्यक है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि जब गंभीर अपराधों का खुलासा किया जाता है और प्रथम दृष्टया किसी आरोपी की संलिप्तता स्थापित हो जाती है, तो न्यायालय किसी अन्य प्रमुख विचार के अभाव में गिरफ्तारी से पहले जमानत देने के पक्ष में नहीं होगा।
नतीजतन, न्यायालय ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में, जब जांच प्रारंभिक चरण में हो, यदि अग्रिम जमानत दी जाती है तो इससे जांच में बाधा आ सकती है और इसलिए अन्य व्यक्तियों की संलिप्तता का पता लगाने के लिए हिरासत में पूछताछ भी आवश्यक है।
इस पृष्ठभूमि में आरोप की प्रकृति और गंभीरता, प्रथम दृष्टया आरोपी की संलिप्तता और सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना पर विचार करते हुए, अदालत ने उसे अग्रिम जमानत का लाभ देने से इनकार कर दिया।
केस टाइटलः अजयराज @ विजेंद्रसिंह किरोड़ीलाल मीना बनाम गुजरात राज्य [CRIMINAL MISC.APPLICATION (FOR ANTICIPATORY BAIL) NO. 18552 of 2023]