सुवेंदु अधिकारी को बड़ी राहत: हाईकोर्ट ने 15 FIR रद्द कीं, नए मामले दर्ज करने पर लगी रोक हटाई
कलकत्ता हाईकोर्ट ने BJP नेता और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ दर्ज 15 FIRs रद्द की।
कोर्ट ने इसके साथ ही दिसंबर 2022 के उस अंतरिम आदेश को भी हटा दिया, जिसमें कोर्ट की अनुमति के बिना अधिकारी के खिलाफ नए मामले दर्ज करने पर रोक लगाई गई थी।
यह फैसला पश्चिम बंगाल में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों से कुछ ही महीने पहले आया है।
जस्टिस जय सेनगुप्ता ने 169 पन्नों के विस्तृत आदेश में ये निर्देश पारित किए। कोर्ट ने पाया कि इन FIR में या तो अधिकारी के खिलाफ कोई विशिष्ट आरोप नहीं है, या केस डायरी को प्रथम दृष्टया पढ़ने पर भी कथित अपराध उनके खिलाफ नहीं बनते।
कोर्ट ने अंतरिम रोक को हटाते हुए कहा कि एक बार अंतिम फैसला सुनाए जाने के बाद यह रोक जारी नहीं रह सकती। हालांकि, बेंच ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि तृणमूल कांग्रेस (TMC) में अपने कार्यकाल के दौरान अधिकारी के खिलाफ एक भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं हुआ, जबकि दल-बदल के बाद FIR की हालिया वृद्धि ने सवाल खड़े किए।
कोर्ट ने टिप्पणी की,
"यह अटकलों के लिए खुला रहेगा कि क्या राज्य पुलिस जानबूझकर किसी भी पुराने अपराध को नजरअंदाज कर रही थी या क्या यह सच है कि याचिकाकर्ता को राजनीतिक निष्ठा बदलने के लिए झूठा फंसाया गया है।"
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कई एफआईआर को आगे न बढ़ाने के लिए राज्य पर लापरवाही भरा रवैया अपनाने को लेकर भी खिंचाई की, जिनमें अधिकारी के अलावा कई अन्य आरोपी भी थे।
कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामला एक बहुत गंभीर विषय है और राज्य का ऐसा लापरवाह रुख अपनाना अत्यंत विचित्र है।
याचिकाकर्ता के खिलाफ मामलों को रद्द करते हुए कोर्ट ने महत्वपूर्ण कानूनी व्यवस्था दी। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक भाषण जिनमें समुदाय के हितों का उल्लेख है या सामुदायिक एकजुटता का आग्रह किया गया, वे अपने आप में आपराधिकता या भारतीय दंड संहिता की धारा 153A के तहत अपराध के तत्वों को आकर्षित नहीं करते हैं।
कोर्ट ने यह भी माना कि अधिकारी को केवल उनके राजनीतिक पद के कारण दूसरों द्वारा किए गए कथित कृत्यों के लिए प्रतिनिधिक रूप से उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।
कोर्ट ने 15 FIR खारिज करने के बाद शेष मामलों में अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी करने के लिए CBI और पश्चिम बंगाल पुलिस के अधिकारियों को मिलाकर SIT के गठन का आदेश दिया।