पत्रकार विक्रम जोशी की 'क्रूर हत्या': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एकमात्र आरोपी की जमानत याचिका खारिज की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में पत्रकार विक्रम जोशी हत्याकांड के एकमात्र आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में जुलाई, 2020 में जोशी को उनकी दो नाबालिग बेटियों के सामने सिर में गोली मार दी गई थी।
न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की खंडपीठ ने आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों से पता चलता है कि पत्रकार जोशी की नृशंस हत्या में अकेले आवेदक की संलिप्तता है।
संक्षेप में तथ्य
जोशी की कथित तौर पर पांच और 11 साल की उनकी दो बेटियों के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जोशी की हत्या उस वक्त की गई थी जब वह जुलाई, 2020 में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में अपनी भतीजी के उत्पीड़न का विरोध करके बाइक से घर लौट रहे थे।
सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक, जोशी अपनी बेटियों के साथ दोपहिया वाहन पर सवार थे। पुरुषों के एक समूह द्वारा उसे रोका गया और मारपीट की गई। उन्होंने उसकी पिटाई शुरू कर दी। इसके बाद जमानत याचिकाकर्ता ने जोशी पर बंदूक तान दी और वह जमीन पर गिर गया और अगले दिन उसकी मौत हो गई।
आरोपी के वकील ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि हालांकि एफआईआर में उसका नाम आरोपी है, लेकिन अभियोजन का पूरा मामला अन्य सह-अभियुक्तों के इकबालिया बयान के साथ-साथ उसके कब्जे से एक देशी पिस्तौल की बरामदगी पर आधारित है।
इस पर अधिवक्ता द्वारा यह आग्रह किया गया कि उसके पास हत्या करने के लिए कोई आपराधिक मकसद का कारण नहीं है। चूंकि अन्य सभी आरोपी व्यक्तियों को अलग-अलग आरोपों पर न्यायालय की समन्वय पीठ द्वारा भर्ती या जमानत दी जा चुकी है, इसलिए आवेदक भी जमानत का हकदार है।
दूसरी ओर, राज्य के वकील ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि शुरू में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307, 34, 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। हालांकि, घटना के एक दिन बाद जोशी की मृत्यु हो गई, इसलिए आरोपी / आवेदक के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 302, 506, 34 के तहत मामला दर्ज किया गया।
राज्य के वकील ने आगे यह प्रस्तुत किया कि सभी आरोप-पत्र में अभियुक्तों ने स्पष्ट रूप से वर्तमान आवेदक को फायरिंग की भूमिका के लिए जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही आवेदक की जेब से एक देशी पिस्तौल भी बरामद किया गया था। इसलिए, सभी परिस्थितियों ने निष्कर्ष निकालता है कि जोशी की हत्या के लिए आवेदक ही जिम्मेदार है।
परिस्थितियों की समग्रता को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने कहा:
1. आवेदक को एफआईआर में हमलावरों में से एक के रूप में नामित किया गया है। इसमें आकाश ने मृतक की हत्या की थी। हालांकि, आकाश का नाम वास्तविक हमलावरों की एक श्रृंखला से हटा दिया गया था।
2. गिरफ्तार किए गए सभी अभियुक्तों ने बिना किसी अनिश्चित शब्दों के केवल आवेदक को ही पत्रकार की हत्या के लिए दोषी ठहराया और अंत में हमले का हथियार भी आवेदक की जेब से ही बरामद किया गया।
अदालत ने निचली अदालत को मुकदमे को तेजी से पूरा करने का निर्देश देते हुए कहा,
"ये सभी तथ्य कुल मिलाकर मृतक पत्रकार की नृशंस हत्या में अकेले आवेदक की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है। इस तरह आवेदक की जमानत खारिज की जाती है।"
केस का शीर्षक - साहनूर @ छोटू बनाम यू.पी. राज्य
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