"मेरे माता पिता दोनोंं ने मेरी शिक्षा में समान रूप से योगदान दिया" : लॉ स्टूडेंट ने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री पर पिता के साथ माता का नाम भी दर्ज करने का अनुरोध किया

Update: 2020-07-19 11:14 GMT

जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के स्नातक बैच की बीबीए एलएलबी की छात्रा सम्रिता शंकर ने अपने अल्मा मेटर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया, जिसमें उनके उत्तीर्ण होने पर केवल उनके पिता के नाम का उल्लेख है। इसके बाद छात्रा ने अपनी डिग्री में अपने पिता के साथ साथ अपनी माता का नाम भी दर्ज करने का अनुरोध किया।

सम्रिता शंकर द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपति को एक ईमेल लिखकर उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता ने उनकी शिक्षा में "समान रूप से योगदान" दिया है लेकिन उन्हें जारी की गई प्रोविज़नल डिग्री पर केवल अपने पिता का नाम देखकर "परेशान" हुईं।

इस पर "गंभीर त्रुटि" का संज्ञान लेने का आश्वासन देते हुए कुलपति ने कहा कि वे "इस प्रथा को बदल देंगे।"

सम्रिता शंकर ने लिखा,

"वे (माता पिता) हमेशा सभी शैक्षिक और सह-पाठयक्रम प्रयासों में समर्थक रहे हैं, जिन्होंने समृद्ध कॉलेज अनुभव में योगदान दिया है। इसलिए, वे अपनी बेटी की प्रोविज़नल डिग्री, ऑफिशियल डिग्री और अन्य दस्तावेजों पर उनके नाम देखने के लिए समान रूप से योग्य हैं।"

सम्रिता ने यह भी सुझाव दिया कि जब किसी छात्र के माता-पिता तलाकशुदा होते हैं या तलाक लेने की प्रक्रिया में होते हैं, या अलग हो जाते हैं, तो ऐसी परिस्थितियों में विश्वविद्यालय के दस्तावेजों में माता/पिता का नाम शामिल करने का विकल्प संबंधित छात्र के पास होना चाहिए।

उन्होंने ने लिखा,

"यह विकल्प उन छात्रों के लिए फायदेमंद होगा जो सिंगल मदर के साथ रहते हैं और जिन्हें अपने पिता के नाम के बिना अपने डिग्री प्रमाण पत्र प्राप्त करना मुश्किल है।"

गौरतलब है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने वर्ष 1998 में निर्देश जारी किए थे, जिसमें कहा गया था कि सभी विश्वविद्यालयों और संबद्ध कॉलेजों में स्पष्ट रूप से छात्र का नाम, पिता का नाम और सभी शैक्षणिक प्रशंसापत्र में मां का नाम शामिल होना चाहिए।

अपने अल्मा मेटर पर इस तरह के "पुरातन और भेदभावपूर्ण" प्रथा की निरंतरता से दुखी, सम्रिता ने कहा, यह प्रथा लैंगिक समानता प्राप्त करने के प्रयासों को एक झटका है।

छात्रा ने लिखा,

"आज के युग में माताएं अपने बच्चे के विकास और शिक्षा के लिए (आर्थिक और अन्य) समान रूप से कड़ी मेहनत के साथ योगदान कर रही हैं। इसलिए, शैक्षणिक प्रक्रियाओं और प्रमाणपत्रों में केवल पिता का नाम शामिल करने जैसी प्रथा को जारी रखना न केवल एक अनैतिकतापूर्ण कदम है, बल्कि लैंगिक समानता प्राप्त करने में एकल / अशिक्षित / तलाकशुदा माताओं और उनके बच्चों के लिए भी अपमानजनक है।"

वीसी ने आधे घंटे के भीतर छात्रा के ई-मेल का जवाब दिया और उसकी प्रोविज़नल डिग्री जारी कर दी, जिसमें उसके माता-पिता दोनों के नाम शामिल थे। 

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