अदालतों का सहयोगी वादी को उपचारहीन छोड़ने का हथियार नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट ने शादी.कॉम के सीईओ अनुपम मित्तल के खिलाफ सिंगापुर हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

Update: 2023-09-13 10:39 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शादी.कॉम के संस्थापक और सीईओ अनुपम मित्तल के खिलाफ सिंगापुर हाईकोर्ट द्वारा जारी एंटी-सूट स्थायी निषेधाज्ञा आदेश के प्रवर्तन पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी।

सिंगापुर हाईकोर्ट के आदेश ने मित्तल को शादी.कॉम की मूल कंपनी पीपुल्स इंटरएक्टिव (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के उत्पीड़न और कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष अपनी याचिका पर आगे बढ़ने से रोक दिया था।

जस्टिस मनीष पितले ने कहा कि उत्पीड़न और कुप्रबंधन से संबंधित विवाद भारत में गैर-मध्यस्थता योग्य हैं और अदालतों की एकजुटता का सिद्धांत किसी वादी को एकमात्र उपलब्ध कानूनी उपाय अपनाने से नहीं रोक सकता है।

अदालत ने कहा,

"न्यायालयों की एकता के सिद्धांत को अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त है, लेकिन उक्त सिद्धांत किसी वादी के न्याय तक पहुंच के उपरोक्त मूल्यवान अधिकार को खत्म नहीं कर सकता है। खासकर जब एक निषेधाज्ञा, जैसा कि इस मामले में एंटी-सूट निषेधाज्ञा विदेश द्वारा जारी किया जाता है तो न्यायालय का मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में उपलब्ध एकमात्र कानूनी उपाय में वादी को हस्तक्षेप करने या रोकने का प्रभाव होगा। यदि विदेशी न्यायालय का ऐसा कोई निषेधाज्ञा घरेलू सार्वजनिक नीति के लिए अपमानजनक है तो उसके प्रवर्तन का विरोध किया जा सकता है और न्यायालयों के सहयोग के सिद्धांत का उपयोग वादी को पूरी तरह से उपचारहीन छोड़ने के लिए हथियार के रूप में नहीं किया जा सकता।”

अदालत मित्तल द्वारा दायर मुकदमे से निपट रही थी, जिसमें मॉरीशस में शामिल निजी इक्विटी फंड वेस्टब्रिज वेंचर्स इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स को विरोधी मुकदमा स्थायी निषेधाज्ञा लागू करने से रोकने के लिए निषेधाज्ञा की मांग की गई है।

फरवरी 2006 में मित्तल, उनके चचेरे भाई आनंद और नवीन मित्तल पीपल इंटरएक्टिव और वेस्टब्रिज के बीच शेयरधारक समझौता (एसएचए) निष्पादित किया गया, जिसके माध्यम से वेस्टब्रिज ने पीपल इंटरएक्टिव का बड़ा हिस्सा हासिल कर लिया।

2019 में विवाद उत्पन्न हुआ और 3 मार्च, 2021 को मित्तल ने कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 241 और 242 के तहत एनसीएलटी, मुंबई के समक्ष याचिका दायर की। इस याचिका में उनके चचेरे भाई आनंद और नवीन मित्तल की सहायता से वेस्टब्रिज द्वारा उत्पीड़न और कुप्रबंधन का आरोप लगाया गया। 15 मार्च, 2021 को वेस्टब्रिज ने वादी को सिंगापुर हाईकोर्ट द्वारा पारित एंटी-सूट निषेधाज्ञा दी, जिसमें मित्तल को एनसीएलटी याचिका पर आगे बढ़ने से रोक दिया गया। साथ ही यह दावा किया गया कि एसएचए के अनुसार, विवाद सिंगापुर में संविदात्मक और मध्यस्थता योग्य है।

मित्तल ने 18 मार्च, 2021 को वर्तमान मुकदमा दायर किया, जिसमें एंटी-सूट निषेधाज्ञा को लागू करने के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की गई और एंटी-सूट निषेधाज्ञा को हटाने के लिए सिंगापुर हाईकोर्ट में कार्यवाही भी शुरू की। सिंगापुर हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2021 में एंटी-सूट निषेधाज्ञा की पुष्टि की। मित्तल ने नवंबर, 2021 में सिंगापुर में इस फैसले के खिलाफ अपील की। जनवरी 2023 में सिंगापुर में अपील की अदालत ने एंटी-सूट निषेधाज्ञा आदेश बरकरार रखा।

इस प्रकार, मित्तल ने एंटी-सूट निषेधाज्ञा के प्रवर्तन के खिलाफ अंतरिम राहत की मांग करते हुए मुकदमे में वर्तमान अंतरिम आवेदन दायर किया।

भारत में दावों की नॉन आर्बिट्रेबिलिटी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि आर्बिट्रेशन का स्थान सिंगापुर को चुना गया है, लेकिन फैसले का कार्यान्वयन भारतीय मध्यस्थता अधिनियम के अनुसार होना चाहिए। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि उत्पीड़न और कुप्रबंधन से संबंधित विवाद भारतीय कानून के तहत गैर-मध्यस्थता योग्य हैं।

अदालत ने सवाल किया,

"यह नहीं कहा जा सकता कि चूंकि उत्पीड़न और कुप्रबंधन से संबंधित विवाद सिंगापुर के कानून के तहत आर्बिट्रेशन योग्य हैं, इसलिए वादी के पास ऐसे विवादों से संबंधित अपनी शिकायतों को दूर करने के लिए सिंगापुर में चुनी हुई सीट पर आर्बिट्रेशन का प्लेटफॉर्म है। उत्पीड़न और कुप्रबंधन के सवाल पर सिंगापुर में आर्बिट्रेटर ट्रिब्यूनल के निष्कर्षों का क्या उपयोग होगा, जब ऐसे निष्कर्षों वाले फैसले को भारत में कभी लागू नहीं किया जा सकता है?”

न्याय तक पहुंच

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि न्याय तक पहुंच न केवल कानून के शासन का महत्वपूर्ण घटक है, बल्कि इसे सार्वभौमिक रूप से मूल्यवान अधिकार के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। अदालत ने कहा कि किसी वादी को न्याय तक पहुंच से वंचित करना, खासकर जब कोई अन्य प्लेटफॉर्म उपलब्ध नहीं है, इस अधिकार को कमजोर कर देगा, जिसकी भारत में संवैधानिक गारंटी है। अदालत ने कहा कि मित्तल उत्पीड़न और कुप्रबंधन के पहलू पर अपनी शिकायत का निवारण केवल एनसीएलटी के समक्ष दायर अपनी याचिका में ही कर सकते हैं।

अदालत ने पाया कि मित्तल ने एंटी-सूट स्थायी निषेधाज्ञा के कार्यान्वयन के खिलाफ अस्थायी निषेधाज्ञा जारी करने के लिए मजबूत प्रथम दृष्टया मामला बनाया था। अदालत ने यह भी पाया कि सुविधा का संतुलन मित्तल के पक्ष में है, क्योंकि यदि निषेधाज्ञा नहीं दी गई तो वह एनसीएलटी के समक्ष उपलब्ध एकमात्र उपाय से वंचित हो जाएंगे।

इस प्रकार, अदालत ने वेस्टब्रिज को सिंगापुर हाईकोर्ट और अपील न्यायालय द्वारा पारित आदेशों को लागू करने से रोक दिया। जब मित्तल ने एनसीएलटी में निषेधाज्ञा राहत की मांग की तो अदालत ने वेस्टब्रिज को उपरोक्त आदेश पर भरोसा करने से भी रोक दिया।

केस नंबर- सूट नंबर 95/2021

केस टाइटल- अनुपम मित्तल बनाम पीपल इंटरएक्टिव (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड

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