डॉ. आनंद तेलतुम्बड़े को लेक्चरर देने के लिए विदेश जाने की नहीं मिली अनुमति, भीमा कोरेगांव मामले में हैं आरोपी
बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा बुधवार को मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. आनंद तेलतुम्बड़े को शैक्षणिक कार्यों के लिए एम्स्टर्डम और यूनाइटेड किंगडम जाने की अनुमति देने में अनिच्छा व्यक्त करने के बाद एल्गार परिषद - भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी ने अपनी याचिका वापस ले ली।
जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस रंजीतसिंह भोंसले की खंडपीठ ने तेलतुम्बड़े को अनुमति देने के खिलाफ अपना विचार व्यक्त करते हुए उनसे वर्चुअल लेक्चरर देने पर विचार करने को कहा।
जस्टिस गडकरी ने शुरुआत में ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा तेलतुम्बड़े की याचिका पर उठाई गई आपत्तियों पर ध्यान देते हुए टिप्पणी की, "या तो वर्चुअल व्याख्यान दें या न जाएं।"
हालांकि, सीनियर एडवोकेट मिहिर देसाई ने जजों से इस तथ्य पर विचार करने का आग्रह किया कि उनके मुवक्किल केवल व्याख्यान ही नहीं देंगे, बल्कि विभिन्न यूनिवर्सिटी में सेमिनार भी आयोजित करेंगे।
NIA का प्रतिनिधित्व कर रहे स्पेशल वकील चिंतन शाह ने बताया कि एजेंसी को आशंका है कि तेलतुम्बड़े फरार हो सकते हैं, इसलिए उन्हें अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
इसी बात पर गौर करते हुए जस्टिस गडकरी ने देसाई से कहा,
"वर्तमान परिस्थिति यह है कि बरी करने की अर्जी (स्पेशल NIA अदालत द्वारा) खारिज कर दी गई। इसलिए यह आशंका है। हम ऐसा करने के इच्छुक नहीं हैं।"
पीठ के संतुष्ट न होने पर देसाई ने जजों से अनुरोध किया कि उन्हें अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए। तदनुसार उन्हें अनुमति दी गई।
गौरतलब है कि तेलतुम्बड़े ने एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी, नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी व अन्य द्वारा आमंत्रित किए जाने के बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी याचिका में कहा गया कि वह 1 अप्रैल को एम्स्टर्डम और फिर 1 मई को यूके जाना चाहते थे और फिर 21 मई को मुंबई लौट आते।
उनकी याचिका के अनुसार, एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी के मानविकी संकाय ने उनकी "सामाजिक न्याय के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त विद्वता और विशेषज्ञता" के आधार पर उन्हें विजिटिंग स्कॉलर के रूप में चुना था। यह चार सप्ताह का कार्यक्रम था, जिसमें सेमिनार आयोजित करना 14 अप्रैल को डॉ. बी.आर. अंबेडकर पर व्याख्यान देना, पीएचडी उम्मीदवारों के साथ मास्टर कक्षाएं आयोजित करना, पोस्ट ग्रेजुएट अध्यापन और व्यक्तिगत विद्वानों व संकाय सदस्यों के साथ बैठकें शामिल थीं।
इसके अलावा, उन्हें नीदरलैंड के लीडेन यूनिवर्सिटी के लीडेन इंस्टीट्यूट फॉर एशिया स्टडीज द्वारा 16 अप्रैल को लेक्चरर देने के लिए भी आमंत्रित किया गया। उन्हें यूनाइटेड किंगडम के नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी द्वारा मई 2025 के पहले दो सप्ताह के लिए स्कॉलर-इन-रेजिडेंस के रूप में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम में भाग लेने और रिसर्चर्स व डॉक्टरेट उम्मीदवारों से मिलकर उन्हें उनके रिसर्च प्रोजेक्ट पर सलाह देने के लिए भी आमंत्रित किया गया। इसके बाद उन्हें ऑक्सफोर्ड साउथ एशिया सोसाइटी, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ सोशल एंड पॉलिटिकल साइंस, एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन द्वारा लेक्चरर देने के लिए आमंत्रित किया गया।
इस संबंध में NIA ने कहा कि यद्यपि तेलतुम्बडे की पुस्तकों को नीदरलैंड और यूनाइटेड किंगडम सहित अन्य देशों से अंतर्राष्ट्रीय प्रशंसा मिली होगी। फिर भी यह जांच का विषय है और सक्षम प्राधिकारी से इसकी पुष्टि आवश्यक है कि क्या तेलतुम्बडे को 14 अप्रैल से 15 मई, 2025 तक लेक्चरर देने की आवश्यकता है।
NIA ने कहा था,
"यह भी माना जा सकता है कि आवेदक द्वारा उक्त व्याख्यान व्यक्तिगत रूप से देने की कथित आवश्यकता बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है, क्योंकि वैकल्पिक रूप से उक्त लेक्चरर ऑनलाइन माध्यम से भी दिए जा सकते हैं, जिसका लिंक NIA के साथ साझा किया जाएगा ताकि उनकी गतिविधियों पर नज़र रखी जा सके। इसके अलावा, आवेदक द्वारा उक्त विदेशी यूनिवर्सिटी में कथित रूप से लेक्चरर देने का इस आधार पर कड़ा विरोध किया जाता है कि उसके फरार होने और इस तरह न्यायिक प्रक्रिया और इस मामले की सुनवाई से बचने के लिए कथित तौर पर उक्त देशों में शरण लेने की संभावना है। साथ ही आवेदक भारत में माकपा के आपराधिक और गैरकानूनी कार्यों को बढ़ावा दे रहा है।"