बॉम्बे हाईकोर्ट ने जेईई मेन्स को टालने की मांग वाली जनहित याचिका स्थगित की, याचिकाकर्ता से संबंधित दस्तावेज रिकॉर्ड पर लाने को कहा
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को जेईई मेन्स 2023 को स्थगित करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता एग्जाम ब्रोशर को रिकॉर्ड पर रखने में विफल रहा है।
अदालत ने कहा,
"आपने उन नियमों को रिकॉर्ड पर दर्ज नहीं किया है, जिन्हें आप चुनौती दे रहे हैं? आप उन नियमों के बिना कैसे याचिका दायर कर सकते हैं जिन्हें आप चुनौती दे रहे हैं? ... हमें यह देखना होगा कि वे नियम गलत कैसे है।"
एक्टिंग चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस संदीप वी मार्ने की खंडपीठ पात्रता मानदंड के रूप में बारहवीं कक्षा में न्यूनतम 75% अंक अनिवार्य करने के फैसले के लिए खिलाफ अनुभा सहाय नामक एक्टिविस्ट की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में आगामी जेईई मेन्स परीक्षा को अप्रैल 2023 तक टालने की भी मांग की गई है।
कोर्ट ने सुनवाई स्थगित करते हुए कहा, "याचिकाकर्ता ब्रोशर को रिकॉर्ड पर रखने के लिए समय मांगा है। अगली तारीख 10 जनवरी होगी। "
कोर्टरूम एक्सचेंज
याचिकाकर्ता के वकील जोसेफ थाटे ने तर्क दिया कि जेईई मेन्स परीक्षा बोर्ड परीक्षाओं और कई बोर्डों की मौखिक परीक्षा से टकरा रही है। उन्होंने कहा, "आमतौर पर, परीक्षा को 4 महीने पहले सूचित किया जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया।"
थाटे ने कहा कि एनटीए ने 2022 में 75% अंकों की पात्रता मानदंड नहीं रखा था, लेकिन उन्होंने इस वर्ष यह मानदंड दिया है। उन्होंने अदालत को बताया कि एक उम्मीदवार के पास जेईई मेन्स के लिए कुल छह अटेम्प्ट होते हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक अटेम्प्ट महत्वपूर्ण है।
एनटीए की ओर से पेश एडवोकेट रुई रोड्रिग्ज ने स्पष्ट किया कि 75% अंक बोर्ड परीक्षा में प्राप्त करने होंगे, जेईई मेन्स में नहीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रवेश के समय एचएससी स्कोर पर विचार किया जाता है। उन्होंने कहा कि पात्रता मानदंड परीक्षा में शामिल होने के लिए नहीं है।
इस पर, थाटे ने जवाब दिया कि यदि उम्मीदवार के न्यूनतम अंक नहीं हैं तो परीक्षा में बैठने का कोई मतलब नहीं है। जब बेंच ने परीक्षा का ब्रोशर मांगा तो रोड्रिग्ज ने बेंच को बताया कि याचिका में कमी है क्योंकि ब्रोशर फाइल नहीं किया गया है।
कोर्ट ने कहा कि जिन नियमों को चुनौती दी जा रही है, उन्हें याचिका के साथ ही दाखिल करना चाहिए था।
पृष्ठभूमि
उपरोक्त तर्कों के अलावा, जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि कई उम्मीदवार उन बैचों से हैं जिनका मूल्यांकन पिछले वर्षों में प्रदर्शन के आधार पर किया गया था, क्योंकि बोर्ड परीक्षाएं COVID महामारी के कारण रद्द कर दी गई थीं। याचिका के अनुसार, ऐसे छात्र भी हैं, जिन्हें 75% से कम अंक प्राप्त हुए हैं, लेकिन जेईई मेन्स में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं और अगर उन्हें उचित अवसर नहीं दिया जाता है, तो यह उज्ज्वल छात्रों के भविष्य को प्रभावित करेगा।
याचिका में आगे कहा गया है कि कई अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं भी जनवरी 2023 में निर्धारित हैं और वे जेईई मेन्स के साथ टकराएंगी। याचिका के अनुसार, एनडीए एसएसबी साक्षात्कार 23 से 27 जनवरी 2023 के लिए निर्धारित किया गया है, और जेईई मेन्स के लिए उपस्थित होने वाले छात्र इससे चूक सकते हैं।
केस टाइटलः अनुभा श्रीवास्तव सहाय बनाम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी और अन्य।