माता –पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण संशोधन विधेयक के प्रमुख बिंदु
केंद्र सरकार ने माता –पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 ( Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007) में संशोधन मां-बाप/वरिष्ठ नागरिकों का ख़याल नहीं रखने को आपराधिक क़रार देने वाले संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किया।
इस विधेयक के माध्यम से इस क़ानून की धारा 24 का संशोधन किया जाएगा, जिसमें अभी तक सिर्फ़ वरिष्ठ नागरिकों को परित्यक्त करने पर ही दंड का प्रावधान था। अब इस संधोशन से इस कार्य को आपराधिक क़रार दिया जाएगा।
इस विधेयक में कहा गया है,
" ऐसा कोई भी व्यक्ति जिस पर माता-पिता या वरिष्ठ नागरिक की देखभाल या सुरक्षा की ज़िम्मेदारी है, अगर वह ऐसे माता-पिता या वरिष्ठ नागरिक को जानबूझकर गालियां देता है या उन्हें छोड़ देता है तो उसे तीन महीने से कम की सजा नहीं होगी और इसे छह महीने तक के लिए बढ़ाया जा सकता है या दस हजार रुपये तक जुर्माना देना पड़ सकता है या दोनों ही सज़ा दी जा सकती है।"
"दुर्व्यवहार" में शारीरिक दुर्व्यवहार, मौखिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार और आर्थिक दुर्व्यवहार, उपेक्षा और परित्याग के कारण हमले, चोट, शारीरिक या मानसिक पीड़ा शामिल हैं।"
इस समय धारा 24 के प्रावधान इस तरह से हैं :
जिस पर भी किसी वरिष्ठ नागरिक की देखभाल या संरक्षण की ज़िम्मेदारी है, अगर ऐसे वरिष्ठ नागरिक को किसी भी स्थान पर उन्हें पूरी तरह छोड़ने के इरादे से रखता है तो उसे तीन माह तक की जेल की सज़ा हो सकती है या पांच हज़ार रुपए का जुर्माना या दोनों ही हो सकता है।
इस विधेयक में "बच्चों" की परिभाषा का विस्तार किया गया है। अब इसको परिभाषित करते हुए कहा गया है कि एक माता-पिता या वरिष्ठ नागरिक के संबंध में "बच्चे" के तहत उसके बेटे या बेटी चाहे वह जैविक, दत्तक या सौतेला बच्चा हो, और इसमें उसका दामाद, बहू, पोता, पोती और बेटी, नाबालिग बच्चों के कानूनी अभिभावक, यदि कोई है, तो शामिल हैं।
"रखरखाव" की परिभाषा का भी विस्तार किया गया है। अब इस शब्द के तहत गरिमापूर्ण जीवन के लिए भोजन, कपड़े, आवास, सुरक्षा और संरक्षण, चिकित्सा, स्वास्थ्य की देखरेख, और चिकित्सा को शामिल करने का सुझाव दिया गया है। बिल में "अभिभावक" शब्द के अर्थ का विस्तार करते हुए कहा गया है : पिता या माता, चाहे जैविक, दत्तक या सौतेला मां-बाप और उनमें ससुर, सास और नाना-नानी शामिल हों, चाहे वे वरिष्ठ नागरिक हों या न हों।
विधेयक में निम्नलिखित प्रावधानों को शामिल करने की बात कही गई है:
बच्चे या रिश्तेदार जिनके खिलाफ धारा 9 के तहत मेंटनेंस के लिए एक आदेश पारित किया गया है, यदि पर्याप्त कारण के बिना इस तरह के आदेश का पालन करने में विफल रहता है, तो ट्रिब्यूनल उसे आदेश के हर उल्लंघन के लिए एक वारंट जारी कर उस पर बक़ाया राशि वसूलने और उस पर जुर्माना लगाने का आदेश दे सकता है।
अगर बच्चे या रिश्तेदार, लगाया गया जुर्माना भुगतान करने में विफल रहते हैं, तो ट्रिब्यूनल उन्हें एक महीने या भुगतान होने तक की अवधि, हो भी पहले हो, के लिए कारावास की सजा दे सकता है।
(c) अस्सी वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के मेंट्नेन्स आवेदनों को विशेष प्राथमिकता के साथ शीघ्र निपटान का प्रावधान ताकि माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों को आवश्यक राहत मिल सके;
(d) ट्रिब्यूनल द्वारा दिलाए जा सकने वाले मासिक गुज़ारे भत्ते की राशि की 10 हज़ार की ऊपरी सीमा को समाप्त करना;
(e) मेंटनेंस ट्रिब्यूनल के आदेश के अनुसार दी जाने वाली राशि के भुगतान के कारण पीड़ित बच्चों और रिश्तेदारों को भी अपील दायर करने का अधिकार देना;
(f) वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल के लिए संस्था के पंजीकरण, वरिष्ठ नागरिकों के लिए मल्टी-सर्विस डे केयर सेंटर और वरिष्ठ नागरिकों के लिए होमकेयर सेवाएं प्रदान करने वाले संस्थान और उनके न्यूनतम मानक का प्रावधान;
(g) हर जिले में वरिष्ठ नागरिकों के लिए पुलिस की विशेष यूनिट का गठन और उनके लिए हर जिले के पुलिस थाने में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति;
(h) वरिष्ठ नागरिकों के लिए हेल्पलाइन चलाना।
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