"पत्नी को धोखा दिया, नाबालिग लड़की का विश्वास तोड़ा": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए दबाव बनाने के आरोपी-विवाहित व्यक्ति को जमानत देने से इनकार किया

Update: 2022-05-19 11:06 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट


इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने नाबालिग को इस्लाम में परिवर्तित करने और निकाह के लिए दबाव डालने के आरोपी-विवाहित व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया है।

जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने कहा कि आरोपी ने न केवल अपनी पत्नी और परिवार को धोखा दिया, बल्कि एक मासूम लड़की का भी विश्वास तोड़ा, जो उस पर विश्वास करती थी और जो उसके झूठे प्यार में फंस गई थी।

कोर्ट अनवर अली की जमानत याचिका पर विचार कर रहा था, जिस पर आईपीसी की धारा 363, 366, 376, पॉक्सो अधिनियम की धारा 3/5 के तहत मामला दर्ज किया गया है। कथित तौर पर, उसने सोशल मीडिया के माध्यम से अभियोक्ता को अपना नाम राज बताया और उसे अपने झूठे प्रेम जाल में फंसाया।

इसके बाद, आरोपी ने उसे बहकाया। हालांकि, अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियोक्ता की मोडिकल आयु 16-17 वर्ष निर्धारित की गई और शैक्षिक प्रशंसापत्र के अनुसार, उसकी आयु 16 वर्ष थी।

अपराध की प्रकृति, आरोपी-आवेदक की वैवाहिक स्थिति और इस तथ्य को देखते हुए कि उसने खुद को 'राज' के रूप में पेश किया, हालांकि वह अनवर अली है, और अभियोक्ता नाबालिग है, अदालत को आरोपी-आवेदक को जमानत देने का कोई आधार नहीं मिला।

कोर्ट ने टिप्पणी की,

"आरोपी-आवेदक ने अभियोक्ता को मुस्लिम धर्म में परिवर्तित करने का प्रयास किया और अपने साथ निकाह करने के लिए दबाव बना रहा था। जब आरोपित आवेदक यह सब हथकंडे अपना रहा था, तो उसे अभियोक्ता के साथ पकड़ लिया गया। अभियुक्त-आवेदक ने न केवल अपने पत्नी और परिवार के साथ विश्वासघात किया, बल्कि एक मासूम लड़की का विश्वास भी तोड़ा, जो उस पर विश्वास करती थी और उसके झूठे प्यार में फंस गई थी।"

तद्नुसार जमानत अर्जी खारिज कर दी गई, हालांकि निचली अदालत से कहा गया कि वह जल्द से जल्द सुनवाई पूरी करने का प्रयास करें, अधिमानतः एक वर्ष की अवधि के भीतर।

केस टाइटल - अनवर अली बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. एंड अन्य [Criminal Misc. Bail Application No. 315 of 2021]

केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ 244

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