बार काउंसिल ऑफ यूपी ने बीसीआई के उसकी गतिविधियों और चुनाव की निगरानी करने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया

Update: 2021-02-26 05:17 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्टेट बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश द्वारा दायर एक याचिका पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) से जवाब मांगा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि बीसीआई यूपी बार काउंसिल के कामकाज में दखल देने का प्रयास कर रहा है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की एकल पीठ ने बीसीआई के लिए पेश हुए वकील से मामले में वर्तमान अगले सप्ताह तक निर्देश लेने को कहा है।

पृष्ठभूमि

बार काउंसिल ऑफ यूपी और उसके अध्यक्ष ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा जारी किए गए दो सर्कुलर को चुनौती देते हुए आरोप लगाया है कि इसके कामकाज में दखल देने के लिए ये सर्कुलर जारी किए गए है।

19 जनवरी, 2021 और 2 फरवरी, 2021 को लगाए गए सर्कुलर ने बार काउंसिल ऑफ यूपी की गतिविधियों की देखरेख के लिए एक नौ सदस्यीय समिति की नियुक्ति की और इसके चुनाव के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया।

बहस

इन्हीं सर्कुलर का विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की वकील सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने प्रस्तुत किया कि राज्य बार काउंसिल ने बीसीआई द्वारा जारी किए गए इन सर्कुलर्स को रद्द कर दिया है। हालांकि अभी भी इसके बैंक खाते तीन सदस्यीय चुनाव समिति के नियंत्रण में हैं।

अपने आदेश में, एकल न्यायाधीश ने दर्ज किया कि दूसरी ओर बीसीआई की मुख्य शिकायत यह है कि बार काउंसिल ऑफ यूपी में अध्यक्ष का वर्तमान कार्यकाल दो व्यक्तियों के बीच विभाजित किया गया है, अर्थात प्रत्येक 6 महीने के लिए, जो कि बीसीआई के नियम के अनुसार, स्वीकार्य नहीं है।

हालांकि, एडवोकेट अरोड़ा ने तर्क दिया कि पहले भी बीसीआई द्वारा इस तरह की व्यवस्था को मंजूरी दी गई थी। उन्होंने न्यायालय को यह भी बताया कि बार काउंसिल ऑफ यूपी ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि श्री रोहिताश्व कुमार अग्रवाल इसके अध्यक्ष के रूप में काम करते रहेंगे।

मामले की तात्कालिकता को ध्यान में रखते हुए न्यायमूर्ति सिंह ने मामले की अगली सुनवाई 3 मार्च 20201 को तय की है।

याचिकाकर्ता बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा, सहायक कॉन्सल शिशिर प्रकाश, एडवोकेट करुणा के. थरेजा, एडवोकेट सौरभ सोनी, एडवोकेट राजराज बजाज, एडवोकेट मन्नत सिंह ने किया।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया का प्रतिनिधित्व एडवोकेट राजीव बंसल और एडवोकेट प्रीत पाल सिंह ने किया।

केस का शीर्षक: बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश और अन्य बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया और अन्य।

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