पंजाब एंड हरियाणा की बार काउंसिल ने दी चेतावनी,अगर 11 जनवरी तक कोर्ट के फिजिकल फंक्शनिंग का फैसला नहीं हुआ तो 'एजिटेशनल मोड' अपनाएंगे

Update: 2021-01-04 08:30 GMT

यह कहते हुए कि वकीलों की बिरादरी में बड़े पैमाने पर आक्रोश है क्योंकि अदालतों में फिजिकल रूप से काम नहीं हो रहा है, बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा ने आज एक प्रेस नोट जारी कर चेतावनी दी है कि यदि 11 जनवरी 2021 तक फिजिकल सुनवाई शुरू करने के लिए कोई निर्णय नहीं लिया जाता है ''तो कार्रवाई समिति को आंदोलनकारी तरीके का सहारा लेना होगा।''

प्रेस नोट में कहा गया है कि बार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों यानी हाई कोर्ट बार एसोसिएशन सहित पंजाब राज्य, हरियाणा राज्य व यू.टी. चंडीगढ़ के अध्यक्षों/सचिवों की पंजाब एंड हरियाणा की बार काउंसिल के अध्यक्ष श्री करणजीत सिंह की अध्यक्षता में बैठक बुलाई गई थी।

इस बैठक में पंजाब के महाधिवक्ता सीनियर एडवोकेट अतुल नंदा, बार काउंसिल के 19 सदस्य, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव, वरिष्ठ अधिवक्ता बार एसोसिएशन के पदाधिकारी और पंजाब, हरियाणा और यू.टी. चंडीगढ की जिला व सब डिवीजन बार एसोसिएशन के 110 अध्यक्ष/सचिव शामिल हुए थे।

प्रेस नोट में कहा गया है, ''पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के बार एसोसिएशनों के सभी प्रतिनिधि इस बात पर एकमत थे कि अदालतों में फिजिकल हियरिंग तुरंत शुरू की जानी चाहिए।''

प्रेस नोट के अनुसार, महाधिवक्ता ने अपने विचार व्यक्त किए हैं कि अदालतों को फिजिकल/शारीरिक सुनवाई के लिए चरणबद्ध तरीके से खोला जाना चाहिए और मार्च तक अदालतों में 100 प्रतिशत कामकाज शुरू हो जाना चाहिए।

इसके अलावा, लगभग 60 वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए और अदालतों को खोलने और शारीरिक सुनवाई शुरू करने के संबंध में सुझाव दिए।

इसके अलावा, बैठक में सर्वसम्मति से निम्नलिखित राय बनाई गई-

-पंजाब से बार एसोसिएशनों के 4 अध्यक्षों, हरियाणा के बार एसोसिएशनों के 4 अध्यक्षों, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष,डीबीए, चंडीगढ़ के अध्यक्ष और बार काउंसिल के सदस्यों में से 5 सदस्यों को मिलाकर एक 15 सदस्यों की एक एक्शन कमेटी गठित की जाए।

-इस समिति की अध्यक्षत बार काउंसिल के चेयरमैन द्वारा की जाएगी। यह समिति सभी एसोसिएशनों के साथ समन्वय करेगी और अदालतों में 100 प्रतिशत फिजिकल वर्किंग शुरू करवाने के लिए आवश्यक निर्णय लेगी।

-यह समिति प्रतिनिधित्व सौंपने और कानूनी बिरादरी की भावनाओं को व्यक्त करने के लिए तुरंत पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात करेगी।

-मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया जाएगा कि वह पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के सभी जिला और सत्र न्यायाधीशों को निर्देश दें कि सभी अदालतों में सभी तरह के मामलों को सूचीबद्ध करें। इसके लिए विशिष्ट दिशा-निर्देश भी दिए जाएं कि वरिष्ठ नागरिकों, असहाय महिलाओं, वैवाहिक विवाद से संबंधित पुराने मामलों को इस सूची में प्राथमिकता दी जाए ताकि अदालतें सीमित काॅजलिस्ट के साथ काम करना शुरू कर दें।

-यह भी निर्देश दिया जाना चाहिए कि अंतरिम आवेदन वी.सी के माध्यम से तय किए जा सकते हैं। हालाँकि, अन्य मामलों को ओपन कोर्ट में सुना जाए,जिनमें सभी तरह के मामले शामिल हों,चाहे वह किसी सुनवाई के किसी भी चरण में हो। वहीं ऐसा करते समय मामलों की सुनवाई करने के लिए सूची में ही विशिष्ट समय स्लॉट को इंगित किया जाना चाहिए।

-अदालतों के फिजिकल कामकाज को शुरू करने में वकील भी पूर्ण सहयोग करेंगे।

यह ध्यान दिया जा सकता है कि पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को शुक्रवार (02 अक्टूबर) को भेजे गए पत्र में पंजाब एंड हरियाणा की बार काउंसिल ने अनुरोध किया था कि वे वर्चुअल हियरिंग के साथ-साथ कम से कम पचास प्रतिशत कोर्ट में फिजिकल हियरिंग शुरू करवा दें।

पत्र में कहा गया था कि,"बार काउंसिल पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के सभी अधिवक्ताओं की ओर से इस प्रतिनिधित्व को इस उम्मीद के साथ भेज रही है कि माननीय मुख्य न्यायाधीश कानूनी बिरादरी के अनुरोध पर ध्यान देंगे और 12 अक्टूबर 2020 से 50 प्रतिशत अदालतों में भौतिक कामकाज शुरू करवा देंगे,अन्यथा बार काउंसिल के पास शांतिपूर्ण आंदोलन का सहारा लेने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा, ताकि माननीय न्यायालयों के फिर से खुलने की प्रतीक्षा कर रहे अधिवक्ताओं को कुछ ढाढ़स मिल सके।''

प्रेस नोट डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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