रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद : मध्यस्थता बंद, अब 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा कि पैनल की रिपोर्ट हमने देखी है और मध्यस्थता सफल नहीं हो पाई है। इसलिए 6 अगस्त से तब तक रोजाना सुनवाई होगी जब तक बहस पूरी ना हो जाए।

Update: 2019-08-03 11:02 GMT

अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट देखने के बाद मध्यस्थता को बंद कर दिया है और अब 6 अगस्त से इस मामले में रोजाना सुनवाई का फैसला किया गया है।

6 अगस्त से निरंतर होगी सुनवाई

शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा कि पैनल की रिपोर्ट हमने देखी है और मध्यस्थता सफल नहीं हो पाई है। इसलिए 6 अगस्त से तब तक रोजाना सुनवाई होगी जब तक बहस पूरी ना हो जाए। पीठ ने रजिस्ट्री को कहा है कि वो तमाम दस्तावेज उपलब्ध कराए। पीठ ने कहा कि 6 अगस्त को निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान अपना पक्ष रखेंगे।

इससे पहले 18 जुलाई को पीठ ने पैनल से 31 जुलाई तक अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश जारी किए थे। पहले इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की संविधान पीठ ने जस्टिस कलीफुल्ला की अगुवाई वाले मध्यस्थता पैनल को 1 सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।

पहले 25 जुलाई से शुरू होनी थी शुरुआत

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस. ए. बोबड़े, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने मूल याचिकाकर्ता नंबर 1 गोपाल सिंह विशारद की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि पीठ 18 जुलाई को स्टेटस रिपोर्ट पर विचार करेगी और अगर पीठ को लगा कि मध्यस्थता खत्म हो गई है तो फिर 25 जुलाई से इस मामले में रोजाना सुनवाई शुरू होगी।

मामले के पक्षों ने दी थी मध्यस्थता प्रक्रिया पर अपनी प्रतिक्रियाएं

इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील के. परासरन ने पीठ को बताया था कि अभी तक पैनल 12 बैठकें कर चुका है लेकिन कोई हल नहीं निकला है। वहीं याचिकाकर्ता गोपाल सिंह विशारद की ओर से कोर्ट को यह बताया गया था कि वो वर्ष 1950 से केस को लड़ रहे हैं और अब 80 साल से ज्यादा की आयु के हो चुके हैं। इस मामले पर जल्दी सुनवाई पूरी होनी चाहिए।

वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि इस मामले में गंभीर मध्यस्थता चल रही और उसमें दखल नहीं देना चाहिए। दूसरा पक्ष मध्यस्थता कार्रवाही में अड़चन डाल रहा है।

अदालत ने 15 अगस्त तक बढ़ाया था पैनल का समय

गौरतलब है कि बीते 10 मई को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में मध्यस्थता की प्रक्रिया पूरी करने के लिए मध्यस्थता पैनल को दिए गए समय को 15 अगस्त तक बढ़ा दिया था।

मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने यह कहा था कि अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थता समिति के अध्यक्ष की रिपोर्ट मिल गई है और इस प्रक्रिया में हुई प्रगति नोट की गई-

"मध्यस्थता जारी है और अध्यक्ष एक सौहार्दपूर्ण और पूर्ण समाधान पर पहुंचने के लिए 15 अगस्त तक इसका विस्तार चाहते हैं और जिसे हम देने के लिए इच्छुक हैं। लेकिन हम इस प्रक्रिया की प्रगति (पार्टियों के बीच) को अभी के लिए गोपनीय बनाए रखेंगे।"

पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड एवं रामलला की राय

जहाँ सुन्नी वक्फ बोर्ड के वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने मध्यस्थता के सभी प्रयासों के प्रति समर्थन व्यक्त किया तो वहीं रामलला के लिए वरिष्ठ वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने जोर देकर कहा था कि समिति को जून के अंत तक ही समय दिया जाना चाहिए।

इससे पहले अदालत ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज न्यायमूर्ति एफ. एम. आई. कलीफुल्ला, श्री श्री रवि शंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू को मध्यस्थता के लिए इस मामले को भेजा था।

मध्यस्थता कार्रवाही उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में आयोजित करने के लिए निर्देशित की गई, जहां विवादित स्थल स्थित है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया था कि मध्यस्थता प्रक्रिया को इन-कैमरा आयोजित किया जाना चाहिए और मीडिया को इसके घटनाक्रम पर रिपोर्टिंग करने से रोक दिया था।

इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में वे याचिकाएं भी शामिल हैं जिनमें इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने वर्ष 2010 में विवादित स्थल के 2.77 एकड़ क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लल्ला के बीच बराबर-बराबर हिस्से में विभाजित करने का आदेश को चुनौती दी गई है।

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