"उत्तर प्रदेश की न्यायपालिका को बदनाम करने का प्रयास": इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस बीएस चौहान की इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रस्तावित यात्रा का विरोध किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अपने अध्यक्ष अमरेन्द्र नाथ सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार (08 जनवरी) को आयोजित एक आपात बैठक में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस बीएस चौहान की इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रस्तावित यात्रा का विरोध किया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2020 में उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर विकास दुबे की एनकाउंटर में हुई हत्या के मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता में एक जांच आयोग के गठन को मंजूरी दी थी।
जस्टिस चौहान का नाम सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाया था, जो उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए थे।
एसोसिएशन ने शुक्रवार को पारित प्रस्ताव में कहा,
"उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर की जांच की आड़ में, जस्टिस बीएस चौहान 11 जनवरी 2021 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के माननीय जजों की कार्य प्रणाली की पड़ताल करने आ रहे हैं। जब वह सुप्रीम कोर्ट के जज थे, तब भी उन्हें पता था कि इस प्रकार की असंवैधानिक जांच नहीं की जा सकती है। "
एसोसिएशन ने आगे कहा है, "इस प्रकार के किसी भी आयोग द्वारा माननीय जजों की जांच करने के लिए हमारे संविधान में कोई प्रावधान नहीं है और जस्टिस बीएस चौहान का कृत्य, जांच की आड़ में, उत्तर प्रदेश की न्यायपालिका को बदनाम करने का एक कुत्सित प्रयास है।"
प्रस्ताव में, एसोसिएशन ने यह भी आरोप लगाया है कि जस्टिस बीएस चौहान एक वकील (दिवंगत) श्रीकांत अवस्थी की मौत के लिए कथित रूप से जिम्मेदार थे। जस्टिस चौहान के निर्देशों पर, अधिवक्ता के साथ कस्टडी में क्रूर व्यवहार किया गया था।
संकल्प में कहा गया है, "जस्टिस चौहान का इतिहास हमेशा से ही एंटी-एडवोकेट रहा है और अब यह एंटी-ज्यूडिशियरी बन गया है।"
अन्त में, एसोसिएशन ने प्रस्ताव में कहा है कि वह इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रस्तावित यात्रा का घोर विरोध करती है और उसकी निंदा करती है।
विकास दुबे का एनकाउंटर
एनकाउंटर मामलें में हुई घटनाओं का विवरण देते हुए, पुलिस ने बताया था कि विकास दुबे की मौत क्रॉस-फायरिंग का नतीजा थी।
बाराजोर टोल प्लाजा पर "भारी बारिश" और "मवेशियों के एक झुंड के अचानक दाईं ओर से सड़क पर आने के कारण" पुलिस का वाहन पलट गया। वाहन पलटने से कई पुलिस कर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए और होश खो बैठे। इस दौरान दुबे एक पुलिस की पिस्तौल छीन ली और भाग निकला।
विकास दुबे की एनकाउंटर के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को मामले की जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता में एक जांच आयोग के गठन को मंजूरी दी।
बाद में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका विकास दुबे एनकाउंटर केस की जांच के लिए गठित जांच आयोग को भंग करने की मांग की गई। साथ ही आयोग के सदस्यों के बारे में कथित तथ्यों को छुपाने के आरोप में राज्य के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही जारी करने के निर्देश दिए जाने की मांग की गई।
अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय ने जस्टिस बीएस चौहान, शशिकांत अग्रवाल, केएल गुप्ता और रविंदर गौड़ को जांच आयोग में नियुक्त कराने के लिए जिम्मेदार सभी हितधारकों द्वारा न्यायालय के साथ "उच्च स्तर की धोखाधड़ी" करने का आरोप लगाते हुए एक नया आवेदन दायर किया।
उपाध्याय ने कहा था कि हाल ही में ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जो सदस्यों की स्वंतत्र निष्ठा पर सवाल खड़ा करते हैं। उपाध्याय ने समाचार पोर्टल 'द वायर' में छपे एक आलेख के आधार पर जस्टिस बीएस चौहान के सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के साथ करीबी संबंध होने का आरोप लगाया।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी सुब्रमण्यन की पीठ ने कहा, "हमने जांच करने के तरीके में कुछ सुरक्षा उपाय प्रदान किए हैं। याचिक में कोई गुण नहीं है और तदनुसार इसे खारिज किया जाता है"।
याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह समाचार पत्रों की रिपोर्टों के आधार पर असत्यापित दावों को स्वीकार नहीं कर सकता है।
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