"उच्च अधिकारियों को प्रभावित करने का प्रयास किया गया": पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने बलात्कार मामले की याचिका खारिज की, महिला पर लगाया एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक मामले में यह देखते हुए कि न केवल कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का प्रयास किया गया, बल्कि अधिकारियों को भी प्रभावित किया गया, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक महिला पर एक लाख जुर्माना लगाया। महिला ने बलात्कार का फर्जी आरोप लगाया था और मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी।
मामले के तथ्यों और जुड़ी हुई परिस्थितियों का विश्लेषण करने के बाद, जस्टिस हरनरेश सिंह गिल की पीठ ने महिला की याचिका को खारिज करते हुए कहा, "यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी संख्या 7 के खिलाफ झूठे और गलत आरोप लगाए हैं और एफआईआर दर्ज कराने की हद तक चली गई है। 19.6.2020 को मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराया है। याचिकाकर्ता ने अदालत से साफ हाथों से संपर्क नहीं किया है।''
संक्षिप्त तथ्य
याचिकाकर्ता / महिला उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और किसी स्वतंत्र एजेंसी को मामले की जांच सौंपने और आरोपी/ प्रतिवादी संख्या 7 को गिरफ्तार करने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता के बयान के अनुसार, दिसंबर 2020 में याचिकाकर्ता की मां ने प्रतिवादी संख्या 7 को चार लाख रुपए दिए थे, ताकि प्रतिवादी, याचिकाकर्ता के सभी न्यूड वीडियो डिलीट कर दे, जिसमें वो दोनों आपत्तिजनक अवस्था में थे।
कथित रूप से, कुछ वीडियो डिलीट करने के बाद, प्रतिवादी संख्या 7 ने अप्रैल 2020 में याचिकाकर्ता से अपने कार्यालय में फिर मुलाकात की और बचे हुए न्यूड वीडियो को हटाने के लिए तीन लाख रुपए की और मांग की।
जब याचिकाकर्ता ने अधिक पैसे देने में असमर्थता दिखाई, तो प्रतिवादी संख्या 7 में उसे अपनी कार में एक सूनसाल जगह पर ले गया और उसकी इच्छा के खिलाफ उसके साथ बलात्कार किया।
यह भी आरोप लगाया गया था कि प्रतिवादी संख्या 7 का सत्तारूढ़ दल के साथ मजबूत संबंध है और यही कारण है कि स्थानीय प्रशासन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है और वह खुलेआम घूम रहा है।
इसके लिए, न्यायालय ने पुलिस महानिदेशक, पंजाब को एक एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया और एसआईटी की रिपोर्ट और पुलिस महानिरीक्षक की स्टेटस रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया कि महिला ने प्रतिवादी संख्या 7 के खिलाफ एक फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था और पूरक चालान/निरस्तीकरण रिपोर्ट की प्रस्तुति के लिए आगे सिफारिश की गई थी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता द्वारा प्राथमिकी में लगाए गए आरोप साबित नहीं हुए क्योंकि बलात्कार के वारदात के दिन, याचिकाकर्ता और प्रतिवादी संख्या 7 की कॉल लोकेशन अलग-अलग थी।
होटल स्नेह मोहन में याचिकाकर्ता और प्रतिवादी नंबर 7 के रहने की जांच की गई और प्रबंधक का बयान भी दर्ज किया गया और निष्कर्ष निकाला गया कि याचिकाकर्ता और प्रतिवादी संख्या 7 वहां अलग-अलग तारीखों पर रुके थे।
अदालत का आदेश
यह मानते हुए कि याचिकाकर्ता द्वारा शुरू की गई कार्यवाही झूठी और गलत थी और यह स्पष्ट रूप से स्थापित किया गया था कि न केवल कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का प्रयास किया गया था, बल्कि अधिकारियों को भी धमकाया गया था।
इसलिए, माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून को ध्यान में रखते हुए, न्यायालय ने कहा कि यह एक उचित मामला है, जहां याचिकाकर्ता पर अनुकरणीय जुर्माना लगाया जाना चाहिए। नतीजतन, याचिका को खारिज किया गया और एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया।
केस टाइटिल - प्रितपाल कौर बनाम पंजाब राज्य और अन्य [CRM-M No. 14954 of 2020 (O&M)]
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