अंसल प्रॉपर्टीज ने बकाया राशि का भुगतान किया, एनसीएलटी ने एक लाख रुपये का जुर्माना लगाकर दिवाला याचिका खारिज की
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT), नई दिल्ली की अबनी रंजन कुमार सिन्हा (न्यायिक सदस्य) और एल एन गुप्ता (तकनीकी सदस्य) की बेंच ने मैसर्स डालमिया फैमिली ऑफिस ट्रस्ट बनाम मेसर्स अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 (आईबीसी) की धारा 7 के तहत दायर आवेदन को खारिज कर दिया।
इस आवेदन में अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) शुरू करने की मांग की गई थी। हालांकि, अंसल प्रॉपर्टीज ने बाद में बकाया राशि का भुगतान कर दिया गया। इसके साथ ही NCLT ने एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी।
एनसीएलटी बेंच के आदेश सुरक्षित रखने के बाद कार्यवाही में देरी करने और डालमिया फैमिली ऑफिस ट्रस्ट के खाते में देय राशि जमा करने के लिए अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड पर यह जुर्माना लगाया। उक्त आदेश 06.06.2022 को पारित किया गया था।
पृष्ठभूमि तथ्य
एमएस. डालमिया फैमिली ऑफिस ट्रस्ट (आवेदक) ने एनसीएलटी, नई दिल्ली के समक्ष आईबीसी की धारा 7 के तहत आवेदन दायर किया था। इसमें अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (प्रतिवादी) के खिलाफ 30.09.2021 को 4,88,20,618/- रुपये की बकाया राशि की मांग को लेकर सीआईआरपी शुरू करने की मांग की गई थी, जैसा कि आवेदन के भाग IV में उल्लेख किया गया है, जिसमें से 1,40,00,000/- रुपये मूल राशि है। आवेदन में चूक की तारीख 28.10.2015 बताई गई थी।
न्यायनिर्णायक प्राधिकारी ने जब मामले को आदेश के लिए सुरक्षित रखा तो कॉर्पोरेट देनदार ने 4,90,00,000/- रुपये आवेदक के खाते में बिना उसकी सहमति के 16.05.2022 को जमा किए।
पक्षकारों का विवाद
आवेदक का कहना था कि प्रतिवादी ने 4,90,00,000/- रुपये बिना किसी पूर्व सहमति जमा किए, क्योंकि पक्षकार के बीच कोई समझौता नहीं हुआ था। इसके अलावा, मूल बकाया के रूप में 65,83,033/- रुपये की राशि शेश है। 4,90,00,000/- रुपये को 24.05.2022 तक परिकलित ब्याज भाग में समायोजित किया गया था। इसलिए, सीआईआरपी शुरू किया जा सकता है।
प्रतिवादी ने प्रस्तुत किया कि 4,90,00,000/- रुपये का भुगतान किया जाना था। 1,40,00,000/- की पूर्ण मूलधन राशि के साथ-साथ आवेदन के भाग IV में आवेदक द्वारा दावा किए गए ब्याज का पूर्ण निर्वहन हुआ।
न्यायनिर्णयन प्राधिकरण की टिप्पणियां
निर्णायक प्राधिकरण ने देखा कि आवेदक ने धारा 10ए के तहत आईबीसी की निलंबन अवधि के भीतर आने वाले ब्याज यानी 25.03.2020 से 24.03.2021 तक के हिस्से का भी दावा किया है, जिसके लिए कभी भी कोई सीआईआरपी शुरू नहीं किया जा सकता है। उक्त तथ्य प्रतिवादी द्वारा 4,90,00,000/- रुपये जमा करने से पहले प्रासंगिक नहीं था। चूंकि मूल बकाया दावा किया गया। आवेदन एक करोड़ रुपये से अधिक था, जो आईबीसी की निलंबन अवधि से बहुत पहले देय था।
पीठ ने पाया कि आवेदक को 4,90,00,000/- रुपये प्राप्त हुए थे, जो कि कुल 4,88,20,618/- रुपये के दावे की राशि से अधिक था। यह माना गया कि आवेदक अपने आवेदन के भाग IV में जो दावा किया गया है, उससे अधिक राशि का दावा नहीं कर सकता, क्योंकि यह तुच्छ कानून है कि आईबीसी कार्यवाही वसूली की कार्यवाही नहीं है।
बेंच ने अर्जी खारिज कर दी और मामले में देरी और आवेदक की सहमति के बिना उसके खाते में 4,90,00,000/- रुपये जमा करने के लिए प्रतिवादी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जब बेंच द्वारा आदेश सुरक्षित रखा गया था।
केस टाइटल: मेसर्स. डालमिया फैमिली ऑफिस ट्रस्ट बनाम मेसर्स. अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, (आईबी)-639(एनडी)/2021
आवेदक के लिए वकील: सीनियर एडवोकेट दर्पण वाधवा, एडवोकेट हैंसी मैनी, एडवोकेट वरुण खन्ना, एडवोकेट नीलाक्षी बहादुरिया
प्रतिवादी के लिए वकील: एडवोकेट अंकित शर्मा, एडवोकेट सुजॉय दत्ता
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