दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश से फिर एक हुआ नवविवाहित जोड़ा, याचिका निस्तारित करते हुए कोर्ट ने कहा, "अंत भला तो सब भला"
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को अदालत के आदेश से फिर एक हुए नवविवाहित जोड़े के मामले के तथ्यों पर ध्यान देते हुए कहा कि "अंत भला तो सब भला।"
अदालत ने पति की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा किया, जिसमें पति ने आरोप लगाया गया था कि उसकी पत्नी को उसके माता-पिता ने उससे अलग करने के बाद उत्तर प्रदेश के एटा जिले में अवैध रूप से अपने कब्जे में रखा हुआ है।
जस्टिस अनूप जे भंभानी और जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की खंडपीठ ने मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस को निर्देश दिया था कि वो एक महिला कांस्टेबल को दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल के साथ भेजे, जो याचिककर्ता की पत्नी वापस दिल्ली लेकर आए और और पति और पत्नी को फिर से एक करने के मामले को कोऑर्डिनेट भी करे।
मंगलवार को याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि अदालत के आदेश के अनुसार, पति को पत्नी से फिर से मिला दिया गया है और दंपति नई दिल्ली स्थित अपने वैवाहिक घर में रह रहे हैं।
कोर्ट ने कहा, "अंत भला तो सब भला। पूर्वगामी के मद्देनजर, बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में प्रार्थनीय राहत संतुष्ट हुई है।"
हालांकि, पत्नी ने कहा कि जब वह घर छोड़ रही थी तो उसके परिवार के सदस्यों ने उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।
इसे देखते हुए न्यायालय ने कहा, "पूर्वगामी मद्देनजर, इंस्पेक्टर योगेंद्र, एसएचओ, पुलिस थाना आनंद पर्वत, को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अशोक कुमार टोडी बनाम किश्वर जहान ने एआईआर 2011 एससी 1254 में जारी निर्देशों के संदर्भ में, नवविवाहितों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है।"
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में पति ने अपनी पत्नी को पेश करने का निर्देश देने की प्रार्थना की थी, जिसे अवैध रूप से दिल्ली लौटने से रोका गया था ताकि उसे पति के साथ रहने से रोका जा सके।
याचिका में कहा गया था कि नवविवाहित जोड़े को पत्नी के माता-पिता ने अलग कर दिया था, जो उसे उत्तर प्रदेश के एटा जिले में उसके पैतृक घर ले गए थे, जहां उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध हिरासत में लिया गया था।
जोड़े को फिर से मिलाते हुए, कोर्ट ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि महिला ने 10 जून 2021 को आर्य समाज मंदिर, रोहिणी में याचिकाकर्ता से अपनी मर्जी से शादी की थी, जिसके बाद नवविवाहित जोड़ा दिल्ली में याचिकाकर्ता के परिवार के साथ रहने लगा था।
केस टाइटिल: नितिन शर्मा बनाम राज्य (एनसीटी) दिल्ली और अन्य