[रिपब्लिक टीवी पर सांप्रदायिक रिपोर्टिंग का आरोप] दिल्ली हाईकोर्ट ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय को 4 सप्ताह के भीतर शिकायत पर फैसला करने का निर्देश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 'पालघर मॉब लिंचिंग मामले' की सांप्रदायिक रिपोर्टिंग करने के आरोप में रिपब्लिक टीवी के खिलाफ यूथ कांग्रेस सचिव अमरिश रंजन पांडेय द्वारा दर्ज की गई शिकायत पर विचार करे।
जस्टिस नवीन चावला की खंडपीठ ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय को याचिकाकर्ता की शिकायत पर विचार करने और चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
एडवोकेट जोबी पी वर्गीज के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि चैनल ने महाराष्ट्र के पालघर में मॉब लिंचिंग की घटना को सांप्रदायिक घटना के रूप में चित्रित करने का प्रयास किया, जिससे आम आदमी के मन में डर पैदा हो गया।
याचिका में कहा गया, "पूरे शो का उद्देश्य विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और घटना का राजनीतिकरण करना था।"
याचिका में आगे आरोप लगाया गया कि मुंबई के बांद्रा में प्रवासियों के इकट्ठा होने की घटना को इसी मीडिया हाउस द्वारा 'विशाल षड्यंत्र' का नाम दिया गया था।
यह बताया गया कि स्व-नियामक निकाय- नेशनल ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के पास रिपब्लिक टीवी की जांच करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है क्योंकि यह उक्त संगठन का सदस्य नहीं है। इसलिए शिकायत पर विचार करने और उसमें उचित आदेश पारित करने के लिए मंत्रालय के खिलाफ दिशा-निर्देश मांगा गया था।
पांडेय ने कहा कि चैनल ने केबल टेलीविज़न विनियमों के तहत निर्धारित प्रोग्राम कोड के नियमों का उल्लंघन किया है और मंत्रालय द्वारा जारी किए गए अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग दिशानिर्देशों को भी तोड़ा है।
इसलिए उन्होंने मंत्रालय से चैनल के खिलाफ उचित कार्रवाई करने और केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 की प्रकृति में नियमों को फ्रेम करने के लिए एक वैधानिक निकाय बनाने की मांग की है, जो एक पूर्व निर्धारित सीमा अवधि के भीतर टेलीविजन चैनलों के खिलाफ शिकायतों पर फैसला करेगा, साथ ही उसके पास अपीलीय और अन्य निवारण तंत्र भी होगा।
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