इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा, COVID-19 से लड़ने के लिए इलाहाबाद शहर के अस्पताल कितने तैयार?

Update: 2020-05-11 14:08 GMT

बीते 7 मई 2020 (गुरूवार) को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य के विभिन्न क्वारंटीन केंद्रों की अस्वच्छता और अमानवीय स्थितियों के बारे में संज्ञान लिया था।

COVID 19 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्वारंटीन केंद्रों की अस्वच्छता पर स्वत: संज्ञान लिया

 मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की एक खंडपीठ ने क्वारंटीन केंद्रों पर "दयनीय परिस्थितियों" को उजागर करते हुए हाईकोर्ट के अधिवक्ता गौरव के द्वारा भेजे गए ई-मेल के आधार पर एक जनहित याचिका दर्ज की थी।

अधिवक्ता गौरव ने अदालत को ईमेल से यह बताया था कि पेशे से इंजीनियर वीरेंद्र सिंह ने हाल ही में COVID 19 संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था। अधिवक्ता गौरव को इंजीनियर वीरेंद्र सिंह की पत्नी ने टेलीफोन पर सूचित किया कि क्वारंटीन केंद्र, जहां वह और उनके परिवार के अन्य सदस्य ठहरे थे, वहां पर्याप्त स्वच्छता नहीं रखी गई थी।

जहां तक क्वारंटाइन केंद्रों के रखरखाव की बात थी, मृतक इंजिनियर की पत्नी द्वारा बनायी गयी एक वीडियो में भी प्रशासन की ओर से कुछ सुस्ती दिखाई गई थी, जिस पर अदालत ने गौर किया था।

अधिवक्ता गौरव के प्रतिनिधित्व के आधार पर पीठ ने राज्य सरकार से बीते 7 मई 2020 को यह जवाब मांगा था और मामले में आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के लिए मुख्य स्थायी वकील को कुछ समय दिया था, और मामले को आज यानी 11 मई, 2020 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था।

अदालत का आज का आदेश: PIL को आगे जारी रखने का लिया गया निर्णय

मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने सोमवार को आदेश में यह देखा कि,

"अदालत को ई-मेल द्वारा प्राप्त निर्देशों के अनुसार, राज्य द्वारा क्वारंटाइन केंद्रों को बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा, जो इलाज श्री वी. के. सिंह को दिया गया वो भी उचित प्रतीत होता है।"

अदालत ने अपने आदेश में आगे कहा कि,

"हालाँकि, जैसा कि हम इलाज के संबंध में राज्य की तैयारियों के बारे में नहीं जानते हैं, जो राज्य ऐसे लोगों को, जो COVID-19 से आगे प्रभावित हो रहे हैं, उन्हें प्रदान करने का इरादा रखता है, इसलिए हम इस जनहित याचिका के साथ आगे बढ़ रहे हैं।"

अपने आदेश में, अदालत द्वारा इलाहाबाद शहर में अस्पतालों की एक सूची का जिक्र किया गया, जोकि अदालत को मिली सूचना के मुताबिक राज्य द्वारा चलाए जा रहे हैं।

ये अस्पताल इस प्रकार है:- 1. S.R.N. अस्पताल, 2. प्राथमिक चिकित्सालय केंद्र, 3. डफरिन अस्पताल, 4. कॉल्विन अस्पताल/एम.एल.एन. अस्पताल, 5. कमला नेहरा अस्पताल, 6. एस.एन. चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, 7. सरदार पटेल मेमोरियल, 8. टी. बी. सप्रू अस्पताल, 9. टी. बी. अस्पताल, 10. राजकीय मेडिकल केयर इकाई, फाफामऊ एवं 11. सरकारी अस्पताल, प्रयागराज

अदालत ने यह कहा कि चूंकि इस जनहित याचिका में अदालत इस बात पर गौर कर रही है कि आखिर शहर के अस्पताल किस तरह से COVID-19 के चलते उत्पन्न स्थिति को संभालने के लिए तैयार हैं, इसलिए उच्च न्यायालय ने राज्य से यह जानकारी मांगी कि इन अस्पतालों में निम्नलिखित सुविधाएं मौजूद हैं या नहीं:-

1. इंटेंसिव कोरोनरी केयर यूनिट

2. इंटेंसिव केयर यूनिट

3. डायलिसिस यूनिट्स

4. वेंटिलेटर्स

5. मोबाइल एक्स-रे मशीनें।

अदालत ने अपने आदेशं में यह भी कहा है कि "राज्य को इन अस्पतालों में काम करने वाले योग्य डॉक्टरों और नर्सों (इंटर्न के अलावा) की संख्या की भी जानकारी देनी होगी। प्रत्येक अस्पताल के विवरण के साथ यह भी बताया जाना होगा कि अस्पताल परिसर को किस प्रकार से सेनिटाईज़ एवं साफ किया जा रहा है।"

यह मामला अब 14 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।


आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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