इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चुनाव ड्यूटी के दौरान COVID-19 के कारण मतदान अधिकारियों की हुई मौत के लिए कम-से-कम 1 करोड़ रूपये मुआवजा देने के लिए कहा

Update: 2021-05-12 01:59 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार को यूपी पंचायत चुनावों के दौरान COVID-19 के कारण मतदान अधिकारियों की हुई मौत के लिए उनके परिवार वालों को कम-से-कम 1 करोड़ रूपया मुआवजे के रूप में देना चाहिए।

जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की डिवीजन बेंच ने कहा कि,

"यह ऐसा मामला नहीं है कि किसी ने चुनाव के दौरान अपनी सेवाएं देने के लिए स्वेच्छा से काम किया। चुनाव के दौरान कर्तव्यों को निभाने के लिए नियुक्त किए गए लोगों को अनिवार्य रूप से काम कराया गया, जबकि वे लोगों ने इसके प्रति अनिच्छा दिखाया था।"

यूपी सरकार शुक्रवार को पंचायत चुनावों में COVID19 के कारण मतदान अधिकारियों की हुई मृत्यु के कारण उनके परिवार वालों के लिए 30,00,000 रुपये के मुआवजे की घोषणा की थी।

कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि मुआवजे की राशि बहुत कम है और मृतक के परिवार वालों को मुआवजे के रूप में कम-से-कम 1 करोड़ रूपया दिया जाना चाहिए।

कोर्ट ने आगे कहा कि,

"परिवार के लिए रोटी कमाने वाले के जीवन की क्षति की भरपाई करने के लिए और वह भी RT-PCR टेस्ट के अभाव में राज्य और राज्य चुनाव आयोग की ओर से जानबूझकर किए गए कृत्य के कारण कर्तव्यों का पालन करने के लिए मजबूर करने के लिए मुआवजे के रूप में कम-से-कम 1 करोड़ रूपया दिया जाना चाहिए।"

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार के साथ-साथ राज्य चुनाव आयोग को महामारी के खतरे के बारे में अच्छी तरह से पता है और फिर भी शिक्षक, जांचकर्ता और शिक्षा मित्र को जोखिम उठाने के लिए मजबूर किया गया। उच्च न्यायालय ने पहले कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि न तो पुलिस और न ही चुनाव आयोग ने चुनाव ड्यूटी पर लोगों को इस घातक वायरस से संक्रमित होने से बचाने के लिए कुछ किया है।

बेंच ने कहा कि,

"हमें उम्मीद है कि राज्य चुनाव आयोग और सरकार मुआवजे की राशि पर फिर से विचार करेंगे और अगली तारीख तय की जाएगी।"

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की एकल पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग, उच्च न्यायालय और सरकार कुछ राज्यों में चुनाव और उत्तर प्रदेश राज्य में पंचायत चुनाव की अनुमति देने के कारण हुए विनाशकारी परिणामों को रोकने में विफल रहे।

उच्च न्यायालय ने पिछले महीने 135 व्यक्तियों की मृत्यु से संबंधित रिपोर्ट के लिए न्यायिक नोटिस जारी किया था, जिनकी मृत्यु चुनाव ड्यूटी के दौरान COVID-19 के कारण हुई।

कोर्ट ने अवलोकन किया था कि,

"ऐसा प्रतीत होता है कि न तो पुलिस और न ही चुनाव आयोग ने चुनाव ड्यूटी पर लोगों को इस घातक वायरस से संक्रमित होने से बचाने के लिए कुछ भी किया।

कोर्ट ने अप्रैल के पहले सप्ताह में COVID-19 की दूसरी लहर के बीच यूपी पंचायत चुनावों को स्थगित करने की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य ने पर्याप्त सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू किए हैं।

केस का शीर्षक: क्वारंटाइन सेंटर में पुन: अमानवीय स्थिति

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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