फेसबुक पर बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण को लेकर पोस्ट करने वाले व्यक्ति को राहत नहीं

Update: 2025-09-11 10:55 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को बाबरी मस्जिद पर कथित फेसबुक पोस्ट को लेकर दर्ज व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द करने से इनकार किया। इस पोस्ट में कहा गया था कि "बाबरी मस्जिद एक दिन तुर्की की सोफिया मस्जिद की तरह फिर से बनाई जाएगी"।

हालांकि, जस्टिस अजय भनोट की पीठ ने आरोपी (मोहम्मद फैय्याज मंसूरी) के खिलाफ मामले की सुनवाई तेज की।

बता दें, मंसूरी के खिलाफ 6 अगस्त, 2020 को FIR दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर अपमानजनक संदेश पोस्ट किया, जिस पर समरीन बानो नाम की एक महिला ने हिंदू समुदाय के देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणी की थी।

यह FIR भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153ए, 292, 505 (2), 506, 509 और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 की धारा 67 और धारा 67 के तहत दर्ज की गई थी।

बाद में लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 के तहत अभियुक्तों के विरुद्ध निरोध आदेश पारित किया। हालांकि, हाईकोर्ट ने सितंबर, 2021 में इसे रद्द करदिया।

अंततः, इस वर्ष ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्तों के विरुद्ध दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लिया। इसके अनुसरण में, अभियुक्तों ने यह याचिका दायर की।

जस्टिस भनोट ने यह कहते हुए याचिका खारिज की कि ये अपराध, प्रथम दृष्टया, निश्चित रूप से धार्मिक भावनाओं को आहत करने और देश के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखते हैं।

हालांकि, अपराध की गंभीरता और इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए पीठ ने ट्रायल कोर्ट को मुकदमे में तेजी लाने का निर्देश दिया।

अदालत ने निर्देश दिया,

"ट्रायल कोर्ट मुकदमे को शीघ्रता से समाप्त करने के लिए सभी प्रयास करेगी। अधिमानतः ट्रायल कोर्ट मुकदमे को समाप्त करने के लिए अपने लिए उचित समय-सीमा निर्धारित करेगी, मान लीजिए इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तिथि से एक वर्ष।"

ट्रायल कोर्ट को अभियुक्तों के अधिकारों के प्रति सचेत रहने और यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया कि गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कानून के अनुसार सभी त्वरित, आवश्यक और दंडात्मक उपाय अपनाए जाएं।

अदालत ने आगे कहा,

"कार्यवाही में देरी या बाधा डालने वाले वकीलों या पक्षकारों को न केवल ऐसा करने से हतोत्साहित किया जाना चाहिए, बल्कि उचित मामलों में ऐसे पक्षों/वकीलों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई भी की जानी चाहिए।"

पुलिस अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी किए गए वारंट या कानून के अनुसार किसी भी दंडात्मक उपाय का शीघ्रता से तामील किया जाए।

विशेष रूप से, खीरी के सीनियर पुलिस अधीक्षक को निचली अदालत द्वारा जारी किए गए वारंट/समन की तामील की स्थिति के बारे में निर्धारित तिथि पर ट्रायल कोर्ट के समक्ष हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया।

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