"आपके अधिकार पर कोई विवाद नहीं कर रहा है; वे मामले के सभी पहलुओं पर काम कर रहे हैं": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लाइव रिपोर्टिंग केस में कहा

Update: 2021-06-03 12:29 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि उसका प्रशासनिक पक्ष व्यापक सार्वजनिक पहुंच के लिए अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और लाइव रिपोर्टिंग के सभी पहलुओं पर काम कर रहा है।

न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने मामले को छह सप्ताह के लिए स्थगित करते हुए कहा,

"कोई भी आपके अधिकार पर विवाद नहीं कर रहा है। वे मामले के सभी पहलुओं पर काम कर रहे हैं, हमें उन्हें कुछ समय देना होगा।"

गौरतलब है कि कोर्ट ने इस मामले में कोई अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया है। इसके बाद जब याचिकाकर्ता के वकील शाश्वत आनंद ने अदालत से यह निर्देश देने का आग्रह किया कि अदालत की कार्यवाही की लाइव रिपोर्ट करने वाले मीडियाकर्मियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी, तो बेंच ने जवाब दिया,

"आपको कौन रोक रहा है?"

सुनवाई के दौरान स्टैंडिंग काउंसिल आशीष मिश्रा ने बेंच को बताया कि लाइव स्ट्रीमिंग के लिए सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के चेयरमैन से हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को गाइडलाइन मिल गई है और सुझाव मांगे गए हैं।

इसलिए उन्होंने सिफारिशों को अंतिम रूप देने के लिए समय मांगा और मामले की स्थगन की मांग की।

एडवोकेट आनंद ने प्रस्तुत किया कि प्रशासन लाइव स्ट्रीमिंग पहलू पर काम कर रहा है, लेकिन याचिकाकर्ताओं की प्राथमिक चिंता लाइव रिपोर्टिंग है।

उन्होंने आग्रह किया,

"लाइव रिपोर्टिंग की अनुमति दी जानी चाहिए।"

इस संबंध में उन्होंने स्वप्निल त्रिपाठी व अन्य बनाम भारत संघ का सर्वोच्च न्यायालय और अन्य फैसले का हवाला दिया, जिसमें शीर्ष न्यायालय ने व्यापक जनहित में न्यायालय की कार्यवाही को लाइव-स्ट्रीम करने का निर्णय लिया था।

तब पांच-न्यायाधीशों की बेंच ने कहा था,

"सूर्य का प्रकाश सबसे अच्छा कीटाणुनाशक है।"

उन्होंने प्रस्तुत किया कि सुप्रीम कोर्ट ने मीडियाकर्मियों को वर्चुअल सुनवाई के लिंक प्रदान करने के लिए अपने मोबाइल ऐप में एक सुविधा भी शुरू की है।

इसका जवाब देते हुए मिश्रा ने प्रस्तुत किया कि प्रशासन जित्सी मीट ऐप से किसी अन्य वाणिज्यिक प्लेटफॉर्म पर स्विच करने की प्रक्रिया में है, जो इस याचिका में उठाए गए सभी चिंताओं को दूर करेगा।

कानूनी पत्रकार अरीबुद्दीन अहमद (बार और बेंच) और स्पर्श उपाध्याय (लाइव लॉ) द्वारा तीन कानून छात्रों के साथ दायर एक जनहित याचिका में वर्चुअल अदालतों की सार्वजनिक पहुंच की मांग की गई है।

याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा,

"न्याय की अवधारणा अपने सही अर्थों में भारतीय न्यायपालिका के मामलों में पूर्ण पारदर्शिता (कुछ असाधारण मामलों को छोड़कर) के माहौल में ही महसूस की जाएगी।"

उन्होंने अपनी याचिका में अदालत परिसर के भीतर समर्पित मीडिया कक्षों की स्थापना और पत्रकारों के साथ वीसी लिंक साझा करने की मांग की है।

याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता अंकुर आजाद, आशुतोष मणि त्रिपाठी और सैयद अहमद फैजान ने किया है।

केस शीर्षक: अरीबुद्दीन अहमद और अन्य बनाम इलाहाबाद हाईकोर्ट और अन्य

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