कासगंज कस्टोडियल डेथ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अल्ताफ के शरीर की दूसरी बार अटॉप्सी के निर्देश दिए

Update: 2022-02-11 07:34 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने गुरुवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली के डॉक्टरों की एक टीम को कासगंज कस्टोडियल डेथ मामले में (Custodial Death Case) मृतक अल्ताफ के शरीर की दूसरी बार अटॉप्सी करने के निर्देश दिए हैं।

न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की पीठ चंद मियां (अल्ताफ के पिता) द्वारा मामले में सीबीआई जांच और दूसरी बार अटॉप्सी की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

चंद मियां की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने शुरुआत में कहा कि जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो को स्थानांतरित करने की प्रार्थना के संबंध में किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है क्योंकि कोर्ट ने कहा कि इस मामले में न्यायिक जांच के साथ-साथ मजिस्ट्रियल जांच भी विचाराधीन है।

न्यायिक जांच के संबंध में अदालत के समक्ष कहा गया कि आज तक 36 गवाहों में से 7 से पूछताछ की जा चुकी है और शेष गवाहों में से दो से आज पूछताछ की जानी है।

इन परिस्थितियों में न्यायालय ने संबंधित न्यायिक अधिकारी को कार्यवाही में तेजी लाने और उन्हें यथासंभव शीघ्रता से उनके तार्किक निष्कर्ष पर ले जाने का निर्देश दिया।

जहां तक मंत्रिस्तरीय जांच का संबंध है, न्यायालय ने मजिस्ट्रियल जांच करने वाले संबंधित मजिस्ट्रेट को इस पर तेजी से आगे बढ़ने और चार सप्ताह की अवधि के भीतर इसे शीघ्रता से अपने निष्कर्ष पर लाने का निर्देश दिया।

मृतक के शरीर को निकालने की प्रार्थना के संबंध में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली में शरीर की नई पोस्टमॉर्टम की जाए। अदालत ने निर्देश दिया कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक, कासगंज की उपस्थिति में मृतक अल्ताफ के शरीर को तुरंत निकाला जाएगा।

इसके अलावा, यह निर्देश दिया गया है कि शव को निकालने के बाद, उसे सील कर दिया जाएगा और तुरंत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली ले जाया जाएगा, जहां निकाले गए शरीर का पोस्टमार्टम अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान निदेशक, दिल्ली द्वारा गठित डॉक्टरों की टीम की उपस्थिति में किया जाएगा।

कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि सीलिंग और पोस्टमॉर्टम और उसके बाद की सीलिंग की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी और अटॉप्सी के विभिन्न चरणों में शरीर की हाई रेजोल्यूशन स्टिल तस्वीरें भी ली जाएंगी और संरक्षित की जाएंगी।

अंत में, कोर्ट ने निर्देश दिया है कि पूरी कवायद 10 दिनों की अवधि के भीतर पूरी की जानी चाहिए। इसके साथ ही मामले को चार हफ्ते बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

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