इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद गिराने के लिए जनता को उकसाने के आरोपी को अग्रिम ज़मानत दी

Update: 2023-01-21 16:09 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद को गिराने के लिए जनता को उकसाने के आरोपी व्यक्ति को (पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत करने तक यदि कोई हो) अग्रिम जमानत दी है ।

जस्टिस सुभाष चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने आरोपी दिग्विजय चौबे की अग्रिम जमानत याचिका पर इस महीने की शुरुआत में यह आदेश पारित किया। चौबे पर आईपीसी की धारा 153ए, 295ए 505(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

आदेश में कहा गया कि

" आवेदक दिग्विजय चौबे की गिरफ्तारी की स्थिति में सीआरपीसी की धारा 173 (2) के तहत पुलिस रिपोर्ट, यदि कोई हो, जमा करने तक, आवेदन को 25, 000 रुपए के निजी मुचलके और संबंधित पुलिस स्टेशन के अधिकारी की संतुष्टि के अनुसार समान राशि के दो ज़मानतदार पेश करने पर ज़मानत पर रिहा किया जाएगा… ।"

एफआईआर दर्ज होने के बाद आवेदक ने अपने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट का रुख किया और तर्क दिया कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण, विश्व हिंदू सेना के अध्यक्ष अरुण पाठक के खिलाफ जानबूझकर एफआईआर दर्ज की गई थी।

आगे यह कहा गया कि आवेदक को एफआईआर में नामित नहीं किया गया है, लेकिन जांच के दौरान उसका नाम सामने आया, हालांकि इसमें आवेदक की मिलीभगत को दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है।

अंत में यह प्रस्तुत किया कि आवेदक को उसकी गिरफ्तारी की आशंका है और यदि वह जमानत पर रिहा हो जाता है, तो वह जमानत की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेगा और जांच में सहयोग करेगा।

दूसरी ओर, राज्य के वकील ने अग्रिम जमानत दिए जाने का विरोध किया।

अदालत ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए आवेदक के साथ-साथ एजीए के वकील द्वारा किए गए सबमिशन पर विचार करते हुए और सुशीला अग्रवाल बनाम राज्य (एनसीटी ऑफ दिल्ली) -2020 एससीसी ऑनलाइन एससी 98 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के विचार के मद्देनज़र आवेदक को मामले में सीमित अवधि के लिए अग्रिम जमानत का हकदार पाया।

अपीयरेंस

आवेदक के वकील: आरबी सिंह

विरोधी पक्ष के वकील: जीए

केस टाइटल - दिग्विजय चौबे बनाम यूपी राज्य [2022 CRIMINAL MISC ANTICIPATORY BAIL APPLICATION U/S 438 CR.PC No. - 10053/2022]

केस साइटेशन : 2023 लाइवलॉ (एबी) 31

आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




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