इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉक्टर कफील खान की रिहाई के लिए दाखिल हैबियस कार्पस याचिका पर राज्य से जवाब मांगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार से सुनवाई की अगली तारीख तक डॉक्टर कफील खान की कथित अवैध हिरासत के खिलाफ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका में अपना जवाब दर्ज करने के लिए कहा।
जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस दीपक वर्मा की पीठ ने राज्य के वकील के अनुरोध पर याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए दस दिन का समय दिया।
न्यायालय ने निर्देश दिया है कि राज्य का जवाब 19 अगस्त, 2020 तक रिकॉर्ड पर रखा जाएगा। इस बीच, आवश्यकता पड़ने पर यूनियन ऑफ इंडिया को भी अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा गया है।
इस समय डॉक्टर कफील खान राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत मथुरा जेल में बंद हैं। उन्हें इसी साल जनवरी में मुंबई से गिरफ्तार किया गया था। डॉक्टर खान पर आरोप है कि उन्होंने कथित रूप से सीएए के विरोध के बीच अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 13 दिसंबर, 2019 को एक भड़काऊ भाषण दिया था।
उल्लेखनीय रूप से, डॉक्टर खान को 10 फरवरी को सीजेएम, अलीगढ़ की अदालत द्वारा जमानत दी गई थी, हालांकि, वह एनएसए अधिनियम के तहत जेल में बंद है।
वर्तमान बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका डॉक्टर खान की मां नुजहत परवीन ने दाखिल की है। उन्होंने इस साल मार्च में पहली बार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें उनके बेटे डॉक्टर खान को रिहा करने की मांग की गई थी। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बीआर गवई की एक पीठ ने इस याचिका का निपटान यह कहते हुए किया था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय इस मामले से निपटने के लिए उपयुक्त मंच है।