इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 15-17 अप्रैल के बीच अत्यंत आवश्यक मामलों की सुनवाई के लिए बेंच गठित की, सभी न्यायालयों / न्यायाधिकरणों के लिए तय किए प्रोटोकॉल
इलाहाबाद में 15 अप्रैल से 17 अप्रैल, 2020 के बीच अत्यंत आवश्यक मामलों की सुनवाई के लिए 2 डिविजन बेंच और 12 एकल पीठों का गठन किया गया है, जिनमें तीन ई-कोर्ट भी शामिल होंगी। ये सभी पीठ उन दो दिनों में मामलों की सुनवाई करेंगी जब राष्ट्रव्यापी लाॅकडाउन में ढील दिए जाने की संभावना है।
प्रतिदिन काफी संख्या में होने वाली फाइलिंग को ध्यान में रखते हुए मुख्य न्यायाधीश की पूर्व स्वीकृति के साथ इन बेंच का गठन किया गया है। सभी बेंच की सूची और उनके द्वारा सुने जाने वाले मामलों की प्रकृति को तय कर दिया गया है।
हालांकि, सामाजिक दूरी के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए, हाईकोर्ट ने न्यायालय परिसर के लिए निम्नलिखित प्रोटोकॉल जारी किए हैं-
-अगले आदेश तक हाईकोर्ट परिसर में प्रवेश के लिए कोई मैनुअल गेट पास/ ई-गेट पास जारी नहीं किया जाएगा। जिन अधिवक्तओं के मामले को सुनवाई के सूचीबद्ध किया गया है,सिर्फ वही ई-गेट पास के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
-जब तक अनिवार्य न हो,न्यायालय मामले के पक्षकारों की व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए आग्रह न करें। इसके अलावा, जिन मामलों में पहले से व्यक्तिगत उपस्थिति तय कर दी गई थी उसको भी स्थगित किया जा सकता है। इस प्रकार, अधिवक्ता अपने मुविक्कलों को सलाह दे सकते हैं कि वे तब तक हाईकोर्ट न आए जब तक कि उनकी उपस्थिति के लिए न्यायालय ने निर्देश न दिया हो।
-थर्मल स्कैनिंग के बाद ही कर्मचारियों और अधिवक्ताओं को हाईकोर्ट परिसर में प्रवेश दिया जाएगा। इसके लिए, परिसर में प्रवेश के लिए केवल तीन गेट बनाए जाएंगे। वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी से अनुरोध किया गया है कि प्रत्येक प्रवेश बिंदु पर पर्याप्त संख्या में डॉक्टर/ चिकित्सा कर्मी तैनात कर दें।
-सभी मध्यस्थता कार्यवाही निलंबित रहेगी। जिन कार्यवाही में पहले से तारीख तय की गई है,उनमें अगली तारीख दी जाएगी।
-हाईकोर्ट की अधिवक्ता कैंटीन, बार एसोसिएशन की बैठक हॉल और संग्रहालय अगले आदेश तक बंद रहेंगे। हालाँकि, उनकी सफाई और स्वच्छता दैनिक आधार पर सुनिश्चित की जाएगी।
-किसी भी विक्रेता को अगले आदेश तक कोर्ट परिसर के अंदर किसी भी पेय और खाद्य पदार्थों को लाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
-सभी न्यायाधीश, कर्मचारी और अधिवक्ता शाम 04.00 बजे तक हाईकोर्ट परिसर को खाली कर देंगे या छोड़ देंगे।
एक अन्य अधिसूचना में, हाईकोर्ट ने यह भी सूचित किया है कि यदि 15 अप्रैल को लाॅकडाउन हटा लिया जाता है तो राज्य के सभी अधीनस्थ न्यायालयों के साथ-साथ सभी वाणिज्यिक न्यायालय, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और स्थानांतरगमन प्राधिकरण को कामकाज के लिए खोल दिया जाएगा। परंतु उनको निम्नलिखित उपायों को अपनाते हुए कार्य करना होगा।
-न्यायालय परिसरों की पूर्ण सफाई और सैनिटाइजेशन को सुनिश्चित किया जाएगा और परिसर में बड़े पैमाने पर लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा।
-केवल उन मामलों को सुना जाएगा जो निपटान, फैसले, अंतिम सुनवाई, रिमांड और जमानत आदि के चरण में हैं। अन्य मामलों को पीठासीन अधिकारी द्वारा स्थगित किया जाएगा और सामान्य तारीख दी जा सकती है।
-पीठासीन अधिकारी मामले में पक्षकारों की उपस्थिति को न रोकें,बशर्ते जब तक कि कोई बीमारी से ग्रसित न हो। हालाँकि, उनके पास कोर्टरूम में व्यक्तियों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने की पाॅवर होगी। इसके अलावा अधिवक्ताओं के बीच में उचित दूरी बनाने के लिए अदालत में केवल 4 कुर्सियों की व्यवस्था की जाएगी। अदालत में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति को माॅस्क का उपयोग करना होगा। अदालत कक्ष के द्वार पर सैनिटाइजर की व्यवस्था की जाएगी। रीडर,क्लर्क आदि सामाजिक दूरी के दिशा निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य होंगे।
-पीठासीन अधिकारी प्रति दिन कम से कम दो मामलों का निपटारा करेंगे और अधिवक्ताओं से अनुरोध किया जाएगा कि वे मामलों के निपटान के लिए लिखित दलीलें दायर करें। केवल ऐसे मामलों को ही सुना जाएगा और फैसला किया जाए जिनके पक्षकार उनकी उपस्थिति के बिना ही केस की सुनवाई के लिए सहमत हो जाएंगे।
-अगर संभव हो तो मामलों के निपटाने के लिए जिला न्यायाधीश वीडियो कांफ्रेंसिंग का सहारा लें।
-प्रत्येक मामले के बीच 10 मिनट का अंतर होगा।
यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि लॉकडाउन जारी रहता है, तो यथास्थिति बनी रहेगी।