इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजभर समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने का निर्णय करने में विफल रहने पर राज्य सचिव को अवमानना ​​नोटिस जारी किया

Update: 2022-08-23 05:38 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की मांग को लेकर राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत अभ्यावेदनों पर निर्णय लेने में विफल रहने पर समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को अवमानना ​​नोटिस जारी किया।

हाईकोर्ट के 11 मार्च, 2022 के आदेश के संबंध में नोटिस जारी किया गया। इसमें विभाग को राज्य के राजभर समुदाय को अनुसूचित जनजाती की सूची में शामिल करने के लिए केंद्र द्वारा भेजे गए अभ्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया।

जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस दिनेश पाठक की पीठ ने 11 मार्च को प्रमुख सचिव, समाज कल्याण विभाग, यूपी सरकार को कानून के अनुसार दो महीने की अवधि के भीतर केंद्र सरकार द्वारा विभाग को भेजे गए अभ्यावेदनों पर निर्णय लेने का निर्देश जारी किया था।

यह आदेश सी/एम जागो राजभर जागो समिति द्वारा एडवोकेट अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी के माध्यम से दायर याचिका पर जारी किया गया।

जस्टिस जे जे मुनीर की खंडपीठ पिछले हफ्ते सी/एम जागो राजभर जागो समिति और अन्य द्वारा दायर अवमानना ​​​​याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यह आरोप लगाया गया कि हाईकोर्ट के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा की गई।

यह आरोप लगाया गया कि उक्त आदेश की तामील के बावजूद, अवमाननाकर्ता/विपक्षी पक्ष ने केंद्र सरकार को अग्रेषित आवेदक/याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर निर्णय नहीं लिया गया।

इसे देखते हुए न्यायालय ने निम्नलिखित आदेश जारी किया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 9 सितंबर, 2022 को पोस्ट करते हुए कहा,

"09.09.2022 को वापस किया जा सकने वाला अवमानना-विपरीत पक्ष को नोटिस जारी करना में उसे कारण बताने की आवश्यकता होती है कि उसके खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही क्यों शुरू नहीं की जा सकती। इसका कारण अवमानना-विपरीत पक्ष द्वारा अपने व्यक्तिगत हलफनामे पर निर्धारित तिथि तक दिखाया जाएगा।"

केस टाइटल - सी/एम जागो राजभर जागो समिति और अन्य बनाम हिमांशु कुमार, प्रमुख सचिव [अवमानना ​​आवेदन (सिविल) नंबर - 4706/2022]

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