अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की आत्महत्या का मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी आनंद गिरी को जमानत देने से इनकार किया

Update: 2022-09-10 09:29 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और श्री मठ बाघंबरी गद्दी अल्लाहपुर, प्रयागराज और श्री बड़े/लेटे हनुमान जी मंदिर, प्रयागराज के महंत नरेंद्र गिरी की कथित आत्महत्या के मामले में मुख्य आरोपी आनंद गिरी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।

जस्टिस संजय कुमार सिंह की खंडपीठ ने कहा कि सीबीआई की ओर से जांच के दरमियान एकत्र सामग्री यह संकेत देती है कि आनंद गिरी (आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोपी) और सह-अभियुक्त के कृत्यों ने मृतक पर आत्महत्या का दबाव डाला था।

कोर्ट ने कहा,

"आवेदक और उसके साथियों का आचरण ऐसा था कि मृतक के पास अपनी बदनामी के डर से जीवन समाप्त करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था। मृतक ने जिस तरह से आत्महत्या की, वह प्रथम दृष्टया इंगित करता है कि यह अभियुक्तों के कृत्यों के संचयी प्रभाव का नतीजा था।"

मामला

दरअसल महंत नरेंद्र गिरी (72) 20 सितंबर, 2022 को प्रयागराज स्थित बाघंबरी मठ में अपने कमरे में मृत पाए गए थे, और क‌थ‌ित सुसाइड नोट में आरोपी गिरी और आद्या तिवारी नामक व्यक्तियों का नाम आया था।

महंत नरेंद्र गिरी द्वारा लिख‌े गए सुसाइड नोट में कहा गया था कि उन्हें डर है कि आनंद गिरी उन्हें बदनाम करने के लिए एक महिला के साथ उनकी मॉर्फ्ड फोटो प्रसारित करेंगे और वह सफाई नहीं दे पाएंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि आनंद गिरि के उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के झूठे आरोप लगा रहा था, जिससेसे वह बहुत परेशान थे।

आनंद गिरी (आईपीसी की धारा 306 के तहत उस पर एफआईआर दर्ज है) के खिलाफ दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि महंत नरेंद्र खुद कहते थे कि आनंद गिरी उन्हें परेशान कर रहा है।

आरोपी आनंद गिरी महंत गिरी के खिलाफ तब से नाराज था, जब उन्होंने उसे ऑस्ट्रेलिया में छेड़छाड़ के मामलों में गिरफ्तारी और संलिप्तता के कारण अपने उत्तराधिकारी पद से हटा दिया था।

आनंद गिरी को बाघंबरी गद्दी, प्रयागराज के साथ-साथ श्री बड़े/लेटे हनुमान जी मंदि, प्रयागराज से भी हटा दिया गया था, और बाद में महंत गिरी के कहने पर उसे "निरंजनी अखाड़ा" से भी तीन साल के लिए हटा दिया गया था।

मामले की जांच कर रही सीबीआई ने आरोप लगाया था कि आरोपी आनंद गिरी, आद्या प्रसाद तिवारी और संदीप तिवारी ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर महंत नरेंद्र के खिलाफ साजिश रचने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए और चरित्र हनन पर के लिए उन पर दबाव बनाया।

टिप्पणी

शुरुआत में, कोर्ट ने कहा कि आत्महत्या के मामलों को अपने स्वयं के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर तय किया जाना चाहिए और यदि अभियुक्त ने मृतक को शब्दों, कृत्यों या आचरण से मानसिक रूप से प्रताड़ित किया हो, जो उकसा सकता हो, मृतक को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करता हो तो यह कार्य एक प्रकार के उकसावे के रूप हो सकता है।

इस पृष्ठभूमि में अदालत ने महंत नरेंद्र गिरी की आत्महत्या और आरोपी व्यक्तियों और उनके अन्य संबंधित सहयोगियों के कृत्यों के बीच एक निकट संबंध पाया।

"हालांकि महंत नरेंद्र गिरी की मौत फांसी के कारण हुई है, लेकिन मामले के तथ्यों से पता चलता है कि वह एक अति संवेदनशील व्यक्ति थे और समाज में अपने पद और स्थिति को देखते हुए ... (वे) इस कारण से बहुत उदास थे कि अगर आनंद गिरी (आरोपी) एक लड़की के साथ उनका एडिटेट अश्लील वीडियो वायरल करता है तो वह समाज में अपना चेहरा नहीं दिखा पाएंगे और आरोपी व्यक्तियों द्वारा अपने चरित्र हनन के कारण अपने जानने वालों और समाज में अपमानित महसूस करेंगे और समाज, अपने अनुयायियों और भक्तों की नज़र में मानहानि और अपमान से बचने के लिए उन्होंने आत्महत्या कर ली।

उक्त तथ्यों की पुष्टि मृतक द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट और मृतक द्वारा अपनी मृत्यु से ठीक पहले किए गए वीडियो के साथ-साथ अन्य उपस्थित परिस्थितियों से होती है।

मृतक ने अपने सुसाइड नोट और वीडियो में आनंद गिरी की साजिशों और अन्य बाध्यकारी परिस्थितियों का खुलासा किया है। इस स्तर पर मृतक द्वारा मृत्यु से ठीक पहले लिखे सुसाइड नोट और वीडियो पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है। आमतौर पर यह माना जाता है कि आत्महत्या करके मरते समय कोई झूठ नहीं बोलता। इस प्रकार, आनंद गिरी और उनके सहयोगियों द्वारा आत्महत्या के लिए उकसाने से इस स्तर पर इनकार नहीं किया जा सकता है।"

केस टाइटल- आनंद गिरी उर्फ अशोक कुमार चोटिया बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य [CRIMINAL MISC. BAIL APPLICATION NO. 51323 of 2021]

केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एबी) 427

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