Aircel-Maxis Case | प्रॉपर्टीज़ की प्रोविजनल अटैचमेंट के खिलाफ कार्ति चिदंबरम की याचिका पर ED को नोटिस जारी
मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार (9 दिसंबर) को कार्ति पी चिदंबरम की याचिका पर ED को नोटिस जारी किया। कार्ति ने SAFEMA, FEMA, PMLA, NDPS, PBPT ACT के अपीलेट ट्रिब्यूनल के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें एयरसेल-मैक्सिस केस के संबंध में प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर के खिलाफ उनकी अपील खारिज कर दी गई।
चीफ जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस जी अरुल मुरुगन की बेंच ने डायरेक्टरेट ऑफ़ एनफोर्समेंट के जॉइंट डायरेक्टर को नोटिस जारी किया, जिसका जवाब 3 हफ्ते में देना है।
बता दें, कार्ति चिदंबरम ने अपीलेट ट्रिब्यूनल के 5 जून, 2025 के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें PMLA के तहत एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी के आदेश के खिलाफ PMLA की धारा 26 के तहत उनकी अपील खारिज कर दी गई। इस आदेश में उनकी 1.16 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी की प्रोविजनल अटैचमेंट की पुष्टि की गई। डायरेक्टरेट ने एयरसेल-मैक्सिस केस के सिलसिले में प्रॉपर्टीज़ अटैच की थीं।
अपनी अर्जी में कार्ति ने दलील दी कि 2014 में एयरसेल-मैक्सिस केस में CBI की फाइल की गई चार्जशीट में उनका नाम आरोपी के तौर पर नहीं था। उन्होंने कहा कि 2017 में स्पेशल जज ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। इसके बावजूद, 23 सितंबर, 2017 को ED ने उनके खिलाफ प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर जारी किया।
उन्होंने कहा कि ED ने प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर जारी करने के बाद एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी के पास शिकायत दर्ज की थी। एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी ने 12 मार्च, 2018 को अटैचमेंट को कन्फर्म करते हुए अपना ऑर्डर पास किया।
कार्ति ने कहा कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 8(3)(a) के अनुसार (जैसा कि कन्फर्मेशन ऑर्डर के समय था), कन्फर्मेशन ऑर्डर केवल PMLA के तहत किसी भी अपराध से संबंधित कार्यवाही के पेंडिंग रहने के दौरान ही जारी रह सकता है। उन्होंने कहा कि कन्फर्मेशन ऑर्डर की तारीख पर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई पेंडिंग नहीं थी। इसलिए कन्फर्मेशन ऑर्डर एक डेड लेटर था और अटैच करने का अधिकार खत्म हो गया था।
आगे कहा गया कि 2 मई, 2018 को एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी के ऑर्डर के खिलाफ अपील की गई। 28 मई, 2018 को अपीलेट ट्रिब्यूनल ने कार्ति चिदंबरम के पक्ष में एक अंतरिम ऑर्डर जारी किया।
इसके बाद 13 जून, 2018 को ED ने PMLA की धारा 45 के तहत स्पेशल कोर्ट में कार्ति को आरोपी बनाते हुए प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट फाइल की और 17 जुलाई, 2018 को CBI ने भी स्पेशल कोर्ट में उन्हें आरोपी बनाते हुए एक चार्जशीट फाइल की।
यह कहा गया कि बाद में चार्जशीट फाइल करने से प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अपीलेट ट्रिब्यूनल का ऑर्डर पूरी तरह से गलत और साफ तौर पर गैर-कानूनी है। इसलिए उन्होंने अपीलेट ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए यह याचिका दायर की।
Case Title: Karti P Chidambaram v, The Joint Director