AIBE को कई भाषाओं में आयोजित किया जा सकता है, CLAT अनुवाद की जटिलता के कारण संभव नहीं: कंसोर्टियम ऑफ NLUs ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया

Update: 2023-09-02 10:22 GMT

कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि AIBE का आसानी से अनुवाद किया जा सकता है और कई भाषाओं में आयोजित किया जा सकता है, जबकि CLAT परीक्षा में अनुवाद की बहुत अधिक समस्याएं मौजूद हैं।

यह कहते हुए कि दोनों परीक्षाओं के बीच बुनियादी अंतर हैं, कंसोर्टियम ने कहा है कि CLAT 2024, जो दिसंबर में होना है, उसके लिए इस स्तर पर "पूरी तरह से नया प्रारूप" पेश करना संभव नहीं है क्योंकि यह उन सभी उम्मीदवारों को, जिन्होंने इस वर्ष के लिए अपनी तैयारी पहले ही शुरू कर दी है, को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा।

CLAT-UG 2024 को न केवल अंग्रेजी में बल्कि भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में दी गई अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी आयोजित करने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका के जवाब में दायर एक अतिरिक्त हलफनामे में कंसोर्टियम ने यह प्रस्तुतियां दी।

यह याचिका सुधांशु पाठक ने दायर की है, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के कानून के छात्र हैं। उनका प्रतिनिधित्व एडवोकेट आकाश वाजपेई और साक्षी एडवोकेट राघव ने किया है।

कंसोर्टियम ने कहा है,

“सुविधा का संतुलन फिलहाल वर्तमान परीक्षण पैटर्न में कोई बदलाव नहीं करने के पक्ष में है। प्रतिवादी नंबर 1 (कंसोर्टियम) के पास प्रतिस्पर्धी परीक्षा की गुणवत्ता और अखंडता से समझौता किए बिना, किसी भी अतिरिक्त भाषा विकल्प को तुरंत लागू करने की क्षमता और साधन नहीं है।''

प्रतिक्रिया में आगे कहा गया है कि कंसोर्टियम के सलाहकार बोर्ड ने 19 अगस्त को हुई बैठक में इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा की है।

जवाब में कहा गया है,

“मैं कहता हूं कि गहन परामर्श के बाद क्षेत्र के विशेषज्ञों की टिप्पणियों का इंतजार करना और अन्य परीक्षण एजेंसियों से इनपुट प्राप्त करना उचित होगा, इससे पहले कि कोई निर्णय लिया जा सके, जो सभी चिंताओं को समायोजित करते हुए यह सुनिश्चित करता हो कि CLAT परीक्षा उच्च शैक्षणिक गुणवत्तापूर्ण परीक्षा बनी रहे, जिसकी निष्ठा बेदाग हो।''

इसके अलावा, कंसोर्टियम ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के रुख का विरोध किया है, जिन्होंने याचिका का समर्थन किया और कहा कि इस साल AIBE भी 23 भाषाओं में आयोजित किया गया था।

जवाब में कहा गया है,

“मैं आगे प्रस्तुत करता हूं कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से दायर हलफनामे का पैराग्राफ 3, जिसमें बीसीआई ने प्रस्तुत किया है कि उसने 23 भाषाओं में अखिल भारतीय बार परीक्षा XVII ऑफर की गई थी, तथ्यात्मक रूप से गलत है। पूछताछ करने पर पता चला कि उक्त परीक्षा पिछले साल केवल 11 भाषाओं में ऑफर की गई थी।''

इससे पहले, कंसोर्टियम ने प्रस्तुत किया था कि क्षेत्रीय भाषाओं में CLAT 2024 परीक्षा आयोजित करना "लगभग असंभव" है।

इसमामले की सुनवाई कल चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने की। अदालत ने पाठक को मामले में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को पक्षकार बनाने के लिए कहा। याचिका में कहा गया है कि CLAT परीक्षा उन छात्रों को "समान अवसर" प्रदान करने में विफल रहती है, जिन्होंने क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई की है।

यह प्रस्तुत किया गया है कि CLAT (UG) परीक्षा केवल अंग्रेजी भाषा में लेने की प्रथा में मनमानी और भेदभाव का तत्व है और यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 29(2) का उल्लंघन है।

याचिकाकर्ता ने IDIA ट्रस्ट द्वारा किए गए एक हालिया सर्वेक्षण पर भी भरोसा जताया है, जिसमें बताया गया है कि सर्वेक्षण में शामिल 95% से अधिक छात्र उन स्कूलों से आए थे, जहां माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक दोनों स्तरों पर शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी था।

यह भी प्रस्तुत किया गया है कि 2020 की नई शिक्षा नीति और बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के अनुसार स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होना आवश्यक है।


केस टाइटल: सुधांशु पाठक बनाम कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज, सचिव के माध्यम से और अन्य


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