जबलपुर हवाई अड्डे के बाद हाईकोर्ट अब करेगा ग्वालियर हवाई अड्डे से उड़ानें बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार (11 नवंबर) को कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा, जिसमें ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया हवाई अड्डे से नियमित उड़ानें शुरू करने के निर्देश देने की मांग की गई।
कॉन्फ़ेडरेशन के अध्यक्ष के माध्यम से दायर जनहित याचिका में आधुनिक, पूरी तरह कार्यात्मक हवाई अड्डे के अस्तित्व के बावजूद ग्वालियर से निरंतर हवाई संपर्क की कमी पर प्रकाश डाला गया। अध्यक्ष ने याचिका में दावा किया कि वह अक्सर हवाई यात्रा करते हैं, लेकिन पाते हैं कि ग्वालियर प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा नहीं है, जबकि हवाई अड्डे में विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचा मौजूद है।
याचिका के अनुसार, हवाई अड्डे का निर्माण अनुमानित ₹500 करोड़ की लागत से किया गया, जिसमें पर्यावरण-अनुकूल और ऊर्जा-कुशल डिज़ाइन शामिल हैं, जिनमें जस्ता-आधारित छत, सौर प्रणाली और वर्षा जल संचयन सुविधाएं शामिल हैं। इसके बावजूद, परिचालन उड़ानों की सीमित संख्या के कारण हवाई अड्डे का बहुत कम उपयोग हो रहा है।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि केंद्र सरकार द्वारा 2016 में शुरू की गई उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना का उद्देश्य आम आदमी को किफायती क्षेत्रीय हवाई संपर्क प्रदान करना था। इस नीति के तहत छोटे और दूरदराज के इलाकों में भी नए हवाई अड्डे स्थापित किए गए ताकि राज्य के भीतर और अंतरराज्यीय संपर्क को मज़बूत किया जा सके।
यह भी दलील दी गई कि मध्य प्रदेश नागरिक उड्डयन नीति, 2025, क्षेत्रीय हवाई यातायात को बढ़ावा देने के लिए हेलीपैड, हेलीपोर्ट और संबद्ध बुनियादी ढांचे जैसी हवाई सुविधाओं के विकास को भी अनिवार्य बनाती है। हालाँकि, इन पहलों के बावजूद, ग्वालियर हवाई संपर्क में पिछड़ रहा है।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह समस्या यात्रियों की कमी के कारण नहीं बल्कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति और नीतिगत समन्वय की कमी के कारण है, क्योंकि वर्तमान में इस हवाई अड्डे से केवल तीन उड़ानें ही संचालित होती हैं।
इन दलीलों पर विचार करते हुए जस्टिस आनंद पाठक और जस्टिस अनिल वर्मा की खंडपीठ ने निर्देश दिया;
प्रस्तुत प्रस्तुतियों पर विचार करते हुए भारत संघ के वकील प्रवीण कुमार नेवास्कर (डिप्टी एडवोकेट जनरल सॉलिसिटर जनरल) और मिस्टर विवेक खेडकर एवं मिस्टर अंकुर मोदी (एडिशनल एडवोकेट जनरल) अपनी-अपनी नीतियों के कार्यान्वयन और इस संबंध में उठाए जाने वाले संभावित कदमों के संबंध में निर्देश मांगें। तीन सप्ताह के भीतर निर्देश प्रस्तुत किए जाएं और उसके बाद मामले की सुनवाई प्रवेश पर की जाएगी।
तीन सप्ताह बाद दिसंबर, 2025 के महीने में सूचीबद्ध करें।
जबलपुर हवाई अड्डे की प्रमुख शहरों से हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए इसी तरह की राहत की मांग करने वाली जनहित याचिका जबलपुर पीठ के समक्ष लंबित है।
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच द्वारा दायर इस याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला कि जबलपुर हवाई अड्डे के उन्नयन पर लगभग ₹500 करोड़ खर्च करने के बावजूद, शहर से कई उड़ानें बंद कर दी गईं।
Case Title: Sudarshan Jhavar v Union [WP-42992-2025]