'एक व्यक्ति जो एक विधायक और एक पार्टी का प्रवक्ता है उसको अधिक सावधान रहना चाहिए': बॉम्बे हाईकोर्ट ने वानखेड़े के मानहानि मुकदमे में आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा

Update: 2021-11-13 04:29 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एनसीबी के जोनल निदेशक समीर वानखेड़े के जन्म प्रमाण पत्र में महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक द्वारा अपलोड किए गए जन्म प्रमाण पत्र पर टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी मामले में राज्य सरकार में मंत्री व्यक्ति से लगाए गए आरोपों पर उच्चतम स्तर के सत्यापन की आवश्यकता होती है।

न्यायमूर्ति माधव जामदार ने वानखेड़े के पिता के मानहानि के मुकदमे में अंतरिम राहत पर आदेश सुरक्षित रखने से पहले नवाब मलिक के वकीलों से बार-बार पूछा, "तो (पोस्टिंग से पहले) उचित जांच और सावधानी कहां है?"

वानखेड़े के पिता ध्यानदेव ने नवाब मलिक पर मानहानि का मुकदमा दायर कर उन्हें और उनके परिवार को बदनाम करने के लिए 1.25 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा है। साथ ही मलिक या उनकी ओर से काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को उनके खिलाफ "अपमानजनक" पोस्ट करने से रोकने के निर्देश दिए जाने की भी मांग की है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को मलिक से कहा कि वह यह साबित करें कि उन्होंने वानखेड़े के जन्म प्रमाण पत्र की प्रामाणिकता को सत्यापित किया है। मलिक ने कहा कि उन्होंने जानकारी की यथोचित पुष्टि की है।

नवाब मलिक ने यह दिखाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र ट्वीट किया कि समीर वानखेड़े ने मुस्लिम पैदा होने के बावजूद अनुसूचित जाति से होने का दावा करते हुए केंद्र सरकार की नौकरी हासिल की।

न्यायमूर्ति जामदार ने मौखिक रूप से कहा कि जन्म प्रमाण पत्र ही एकमात्र सार्वजनिक दस्तावेज है जिस पर मलिक अपने आरोपों को साबित करने के लिए भरोसा कर रहे हैं।

अदालत ने कहा कि एक आम आदमी, एक पत्रकार और एक वकील के लिए सत्यापन की डिग्री अलग-अलग होगी, "लेकिन एक व्यक्ति जो विधायक और एक राजनीतिक पार्टी का प्रवक्ता है, उसके सत्यापन का स्तर ऊंचा होना चाहिए .... आपके अपने हलफनामे के अनुसार आप विधानसभा के सदस्य और एक राजनीतिक दल के प्रवक्ता हैं। आपको अधिक सावधान रहना चाहिए।"

वरिष्ठ अधिवक्ता अतुल दामले ने दावा किया कि उन्होंने उपलब्ध सरकारी रिकॉर्ड से ट्वीट किया, लेकिन स्वीकार किया कि जन्म प्रमाण पत्र में "समीर" और "मुस्लिम" लिखने का तरीका अलग था। इसके अलावा, "दाऊद" को "ध्यानदेव" में बदल दिया गया।

वानखेड़े के वकील अरशद शेख ने यह दिखाने के लिए कि समीर वानखेडे का नाम "ध्यानदेव" है और वह महार समुदाय से है, जाति प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, समीर वानखेड़े के स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र आदि सहित 28 दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर रखा।

हालांकि, शेख ने कहा कि ध्यानदेव के पास न तो मूल है और न ही उनके पास विवादास्पद जन्म प्रमाण पत्र की फोटोकॉपी है।

समीर वानखेड़े के जन्म प्रमाण पत्र पर मलिक के ट्वीट का जिक्र करते हुए शेख ने कहा,

"क्या उन्हें यह नहीं दिखाना चाहिए कि उन्होंने मेरी प्रतिष्ठा को धूमिल करने से पहले एक फोटोकॉपी को कैसे सत्यापित किया? भले ही जन्म प्रमाण पत्र सही होना चाहिए। आप जानते हैं कि एक ही दस्तावेज में दाऊद की जगह ध्यानदेव लिखा गया है। इसलिए सभी दस्तावेज़ों में से आप केवल एक दस्तावेज़ इंटरपोलेशन के साथ उठाते हैं।"

शेख ने कहा कि समीर वानखेड़े की पहली शादी का निकाहनामा एक निजी दस्तावेज है और इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

अगर मैं समीर वानखेड़े हूं तो भी मेरी एक निजी जिंदगी है

शेख ने निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के पुट्टस्वामी के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि नवाब मलिक जो जानकारी पोस्ट कर रहे हैं उसका उनके आधिकारिक कर्तव्य से कोई लेना-देना नहीं है।

शेख ने कहा,

"भले ही मैं समीर वानखेड़े हूं, पर मेरी भी एक निजी जिंदगी है।"

शेख ने वानखेड़े के मामले का आम जनता पर मलिक के आरोपों के प्रभाव को दिखाने के लिए लाइव लॉ के ट्वीट पर कुछ टिप्पणियों की ओर इशारा किया।

उन्होंने कहा,

"एक का कहना है कि दाऊद वानखेड़े ने मानहानि का मुकदमा दायर किया है। दूसरा कहता है "केवल रु. 125 करोड़ का मामला है? लगता है लोग इस नतीजे पर पहुंच गए हैं कि मैं दाऊद हूं और मेरे पास बहुत पैसा है।"

अंत में शेख ने तर्क दिया कि नवाब मलिक ने जो कुछ भी ट्वीट किया वह राजनीति से प्रेरित है और अपने दामाद की सजा का बदला लेने के लिए है।

शेख ने कहा,

"निष्कर्ष में यह मेरा तर्क है कि क्योंकि उनके दामाद को गिरफ्तार किया गया था और उसे आठ महीने तक जमानत नहीं मिल पाई थी। मेरे बेटे की कार्रवाई पर पलटवार करने और उसे कलंकित करने के उद्देश्य से तीखा हमला शुरू किया गया। यह धारणा बनाने की कोशिश की गई कि समीर वानखेड़े जबरन वसूली करता है और उसका परिवार 'फर्जी' है। अब वह पूर्व सीएम (देवेंद्र फडणवीस) और उनकी पत्नी पर हमला कर रहे हैं। मैं बीजेपी या कांग्रेस से नहीं हूं। लेकिन मैं यह दिखाना चाहता हूं कि दामाद की सजा का बदलने लेने के अलावा यह स्पष्ट रूप से राजनीति से प्रेरित प्रतिशोध है।"

वकीलों की लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश के लिए याचिका को सुरक्षित रख लिया।

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