'एक वकील सलाखों के पीछे है; गंभीर मामला है': बॉम्बे हाईकोर्ट ने वकील की गिरफ्तारी पर ठीक से जवाब न देने पर पुलिस को फटकार लगाई

Update: 2021-05-18 13:15 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को एक वकील की कथित अवैध गिरफ्तारी और पिछले महीने उसके मुवक्किल की शिकायत पर दर्ज अपहरण और जबरन वसूली के मामले में झूठा फंसाने के संबंध में पुलिस के बदलते बयानों को गंभीरता से लिया है।

खंडपीठ का नेतृत्व कर रहे न्यायमूर्ति एसजे कथावाला ने मुख्य लोक अभियोजक दीपक ठाकरे से कहा, ''उन्हें बताएं कि अगर वे अदालत के साथ कोई शरारत करते हैं तो हम उन्हें नहीं बख्शेंगे।''  इसी के साथ पीठ ने नवी मुंबई की खारघर पुलिस को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

खारघर पुलिस ने अधिवक्ता विमल उमेशचंद्र झा को आईपीसी की धारा 323, 364 ए, 365, 387, 506 रिड विद 34 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए गिरफ्तार किया था। झा पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर अपने मुवक्किल से 3 करोड़ रुपये ऐंठने की कोशिश की और बाद में उसका अपहरण कर लिया।

पुलिस ने शुरू में कहा था कि झा को 3 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था और 5 अप्रैल को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था। बाद में उन्होंने उसे 4 अप्रैल को गिरफ्तार करने का दावा किया।

अदालत लॉ ग्लोबल के माध्यम से लाॅयर फाॅर जस्ट सोसाइटी की तरफ से दायर एक आपराधिक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें छत्तीस वर्षीय झा की तत्काल रिहाई की मांग की गई थी। जिसमें दोषी पुलिस अधिकारियों से 5 करोड़ रुपये का मुआवजा दिलाने और वकीलों को पुलिस उत्पीड़न से बचाने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की भी मांग की गई है।

वहीं वकील झा द्वारा अधिवक्ता प्रशांत पांडे के माध्यम से दायर एक अन्य याचिका में प्राथमिकी को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

याचिका के अनुसार, नवनाथ गोले, जिसके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, झा का मुवक्किल था। दोनों दोस्त बन गए और झा ने गोले के कारोबार में पैसा लगाने और उसका परिसर 80 लाख रुपये में परिसर खरीदने के लिए सहमति व्यक्त की। काम के सिलसिले में वे एक-दूसरे के साथ कई जगहों पर एक साथ गए। हालांकि, झा को वकील की पत्नी की गुमशुदगी की शिकायत के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुभाष झा ने कहा कि झा को 3 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 5 अप्रैल को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जो सीआरपीसी की धारा 57 और भारत के संविधान के आर्टिकल 22 (2) का उल्लंघन है।

उन्होंने आगे कहा कि झा को थाने से कोर्ट ले जाते समय अवैध रूप से हथकड़ी लगाई गई थी। अभियोजन पक्ष ने उसे हथकड़ी लगाकर अदालत ले जाने की बात से इनकार नहीं किया। झा ने आरोप लगाया कि मंत्रालय में तैनात एक पुलिस कांस्टेबल शिकायतकर्ता का साला है और उन्होंने झा को झूठे मामले में फंसाने की साजिश रची है।

जब न्यायमूर्ति कथावाला ने झा की गिरफ्तारी की तारीख जाननी चाही तो पुलिस की तरफ से पेश मुख्य लोक अभियोजक दीपक ठाकरे ने 3 अप्रैल, 2021 बताई। सिर्फ अपना बयान बदलने और यह कहने के लिए कि गिरफ्तारी 4 अप्रैल को सुबह 4.39 बजे की गई थी,ठाकरे ने कहा कि उन्हें अगले दिन ही पेश कर दिया गया था।

ऐसे समय पर गिरफ्तारी करने के बारे में पूछे जाने पर, ठाकरे ने उनको मिले निर्देश के अनुसार कहा कि  एक पुलिस अधिकारी झा के घर गया था, हालांकि बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि झा पहले से ही थाने में था।

पीठ ने पूछा, ''आप बार-बार हमारे सामने झूठे बयान क्यों दे रहे हैं? और आपका अधिकारी आपके सामने मौजूद है।'' ठाकरे ने कहा कि वह उनको मिले निर्देशों के अनुसार बयान दे रहे हैं।

अदालत द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के बाद, ठाकरे ने कहा कि संबंधित तिथियों के सीसीटीवी फुटेज भी उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि इसको लगाने का काम 1 मई, 2021 को शुरू हुआ था। हालांकि, अधिवक्ता सुभाष झा ने उनका विरोध किया और कहा कि थाना परिसर के प्रवेश द्वार पर बड़े सीसीटीवी कैमरे हैं।

न्यायमूर्ति कथावाला ने कहा, ''पुलिस थाने में क्या आवश्यकता है? क्या ऐसा नहीं है कि सभी पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरे होने चाहिए? एक वकील सलाखों के पीछे है। यह एक बहुत ही गंभीर मामला है।''

ठाकरे ने यह भी कहा कि वह झा को हथकड़ी लगाने से रोकने में पुलिस का समर्थन नहीं करेंगे।

पांडे ने प्रस्तुत किया कि वकील को वर्तमान में विभिन्न बीमारियों के कारण एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके अलावा, उसके मोबाइल फोन के टावर लोकेशन से यह भी पता चलेगा कि वह 3 अप्रैल की रात 8.30 बजे से थाने में था।

बेंच अब मामले की सुनवाई बुधवार को करेगी।

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