50 वर्षीय विवाहिता 30 वर्षीय युवक के साथ लिव-इन रिलेशन में: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने दोनों के खतरे के आकलन का आदेश दिया

Update: 2021-11-05 12:24 GMT

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक 50 वर्षीय विवाहित महिला और उसके 30 वर्षीय लिव-इन पार्टनर की सुरक्षा का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि हर व्यक्ति को, व‌िशेषकर एक वयस्क को, किसी भी ‌स्‍थ‌िति में अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ रहने का अधिकार है।

जस्टिस विकास बहल की खंडपीठ ने जोर देकर कहा कि जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा भारत के संविधान की बुनियादी विशेषता है।

उन्होंने कहा, "प्रत्येक व्यक्ति विशेष रूप से एक वयस्क को किसी भी स्‍थ‌िति में अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ अपना जीवन जीने का अधिकार है, जब भी यह न्यायालय प्रथम दृष्टया संतुष्ट होता है कि कुछ याचिकाकर्ताओं के रिश्ते के कारण रिश्तेदारों/व्यक्तियों की नाराजगी याचिकाकर्ताओं के जीवन और स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचा सकती है और ऐसी परिस्थितियों में अदालतों को उनकी सुरक्षा के लिए आवश्यक निर्देश पारित करने की आवश्यकता होती है।"

यह था मामला

याचिकाकर्ता नंबर एक (विवाहित महिला) जिसकी उम्र 50 वर्ष से अधिक है, उन्होंने अपने 30 वर्षीय साथी (याचिकाकर्ता संख्या दो) के साथ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि वे "लिव इन रिलेशनशिप" में हैं और अपने जीवन और स्वतंत्रता के लिए सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।

यह कहा गया कि याचिकाकर्ता संख्या एक अपने पति (प्रतिवादी संख्या चार-मंगल सिंह) से तलाक के बाद याचिकाकर्ता दो से शादी करने का इरादा रखती है।

कोर्ट की ट‌िप्पणी

शुरुआत में कोर्ट ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता " लिव इन रिलेशनशिप " में रह रहे हों, फिर भी वे जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के हकदार हैं।

याचिकाकर्ता नंबर एक के तलाक न होने के पहलू के संबंध में कोर्ट ने इशरत बानो और एक अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य के फैसले का उल्लेख किया, जिसमें हाईकोर्ट ने एक मुस्‍लिम पुरुष को दूसरी शादी के बाद सुरक्षा प्रदान की थी।

उस मामले में जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के पहलू को सर्वोपरि मानते हुए और इस मुद्दे में शामिल हुए बिना कि पार्टियों (दूसरा विवाह) के बीच संबंध कानूनी है या नहीं, इस तथ्य के बावजूद कि एक पक्ष के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है, कोर्ट ने उन्हें सुरक्षा दी थी।

उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और रिश्ते की वैधता पर टिप्पणी किए बिना या मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना, न्यायालय ने प्रतिवादी संख्या दो के 25 अक्टूबर 2021 के अभ्यावेदन पर विचार करने के निर्देश के साथ याचिका का निपटारा किया और निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं को खतरे की धारणा का आकलन किया जाए और उस पर विचार करने के बाद कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाए।

केस शीर्षक - अमनदीप कौर और अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य

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