2018 के ट्वीट्स का मामला| अन्य ट्वीट्स के विश्लेषण के लिए अभी भी ज़ुबैर के उपकरण की जांच हो रही है: दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया

Update: 2022-09-16 09:13 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के उपकरणों का फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, रोहिणी में विश्लेषण किया जा रहा है। उन्हें 2018 के एक ट्वीट के संबंध में जब्त किया गया था। विश्लेषण पूरा होने के बाद वह निचली अदालत से संपर्क कर उन्हें सुपरदारी पर वापस पा सकते हैं।

पुलिस ने बताया कि जब्त किए गए उपकरणों से मोहम्मद जुबैर द्वारा किए गए 2018 के ट्वीट और "इसी तरह के अन्य ट्वीट्स" के संबंध में डेटा को रिकवर किया जाना है और उनका विश्लेषण किया जाना है।

उल्लेखनीय है कि मोहम्‍मद जुबैर ने हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की है, जिसमें प्रार्थना की गई है कि दिल्ली पुलिस द्वारा जब्त कोई भी उपकरण या दस्तावेज, जिनका एफआईआर में दिए आरोप से संबंध नहीं है, उन्हें तुरंत वापस किया जाए। दिल्ली पुलिस ने अपने जवाब में याचिका खारिज करने की प्रार्थना की है।

जवाब में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि 2018 के जुबैर ने एक ट्वीट पोस्ट किया था, जिसमें शामिल पिक्चर और शब्द एक "विशेष धार्मिक समुदाय" के खिलाफ "अत्यधिक भड़काऊ थे और जानबूझकर किए गए" थे।

हलफनामा

पुलिस ने हलफनामे में कहा, "पुलिस कस्टडी के दरमियान मोहम्‍मद जुबैर के बैंगलोर स्थित आवास से एक लैपटॉप, दो इनवाइसेज़ और एक हार्ड डिस्क बरामद किया गया है। बरामदगी डिस्‍क्लोजर स्टेटमेंट के आधार पर की गई है। यह भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत स्वीकार्य है। सीएमएम पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा पीसी आदेश को रद्द करना रिकवरी को अस्वीकार्य बना देगा।"

दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 जुलाई को याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था।

ट्वीट मामले में ही सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा विभिन्न जिलों में दर्ज सभी 6 एफआईआर में जमानत दे दी थी। सभी मामलों को दिल्ली की एफआईआर से जोड़ दिया गया था।

मामला

जुबैर को भारतीय दंड संहिता की धारा 153A (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना, आदि) और धारा 295 (किसी भी धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल को अपवित्र करना या चोटिल करना) के तहत गिरफ्तार किया गया था।

बाद में, जुबैर के खिलाफ आईपीसी की धारा 295A के साथ धारा 201, धारा 120बी और विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 की धारा 35 को भी जोड़ा गया था।

दिल्ली पुलिस के अनुसार जुबैर की गिरफ्तारी एक ट्विटर हैंडल से एक शिकायत प्राप्त होने के बाद दर्ज मामला में की गई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि जुबैर ने एक "संदिग्ध इमेज" ट्वीट की थी, जिसका उद्देश्य जानबूझकर एक विशेष धर्म के ईश्वर का अपमान करना था।

केस शीर्षक: मोहम्मद जुबैर बनाम राज्य

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