1984 सिख विरोधी दंगे: दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की जमानत पर रोक लगाई, एसआईटी की याचिका पर नोटिस जारी किया
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने निचली अदालत के उस आदेश पर रोक लगाई जिसमें 1984 के सिख विरोधी दंगों (Anti-Sikh Riots) के दौरान पश्चिमी दिल्ली इलाके में रहने वाले एक व्यक्ति और उसके बेटे की हत्या और दंगों के मामले में कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) को जमानत दी गई थी।
कुमार के खिलाफ पिछले साल दिसंबर में आरोप तय किए गए थे और मुकदमा चल रहा है। हालांकि, कुमार पहले से ही उक्त दंगों से संबंधित एक अन्य मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।
निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाते हुए जस्टिस योगेश खन्ना ने 4 जून को 1984 के दंगों से संबंधित मामलों की जांच के लिए गठित एसआईटी के माध्यम से राज्य द्वारा दायर याचिका पर भी नोटिस जारी किया है।
कोर्ट ने आदेश दिया,
"उपरोक्त के मद्देनजर, प्रतिवादी को इस याचिका का नोटिस 15.07.2022 को वापस करने योग्य सभी तरीकों से जारी किया जाता है और तब तक 27.04.2022 के आदेश पर रोक लगा दी जाती है।"
राज्य द्वारा यह तर्क दिया गया कि कुमार एक जघन्य अपराध में शामिल है और कुछ महत्वपूर्ण गवाहों से पूछताछ की जानी बाकी है। यह भी जोड़ा गया कि अगर उसे रिहा किया जाता है, तो इसका परिणाम सबूतों में बाधा उत्पन्न हो सकता है।
यह आगे प्रस्तुत किया गया कि कुमार पहले से ही इसी तरह के मामले में दोषी ठहराया गया है और उसमें हिरासत में है।
अब इस मामले की सुनवाई 15 जुलाई को होगी।
वर्तमान मामले में, शिकायतकर्ता ने कहा कि 1 नवंबर, 1984 को एक भीड़ ने उनके घर पर हमला किया। इसके परिणामस्वरूप उनके पति और बेटे की मौत हो गई। इससे उन्हें और अन्य व्यक्तियों को चोटें आई थीं, जिसमें उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचा था।
शिकायतकर्ता ने आगे कहा कि उसने बाद में एक पत्रिका में कुमार की एक तस्वीर देखी और उसे भीड़ को उकसाने वाले के रूप में पहचाना।
इसके बाद गृह मंत्रालय ने अपने आदेश दिनांक 12.02.2015 द्वारा 1984 के दंगों से संबंधित मामलों की जांच या पुन: जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया। शिकायतकर्ता का बयान दर्ज किया गया जिसमें उसने फिर से घटना सुनाई।
मामले में आगे की जांच से पता चला कि पीड़ित, शिकायतकर्ता की भाभी और दोनों मृतक घर पर मौजूद थे, जब एक हिंसक भीड़ में हजारों लोग शामिल थे और लोहे की छड़ और लाठियों आदि से लैस उनके घर पर हमला किया था। उसके दरवाजे और खिड़कियां तोड़ दीं, घर का सामान लूट लिया और घर में आग लगा दी थी।
यह भी आरोप लगाया गया कि कुमार ने हजारों लोगों की एक गैरकानूनी सभा का नेतृत्व करके और घातक हथियारों से लैस होकर दंगा, डकैती, हत्या, हत्या के प्रयास, आग से गंभीर चोट और पीड़ितों के घर और अन्य घरेलू संपत्ति को तोड़ने, लूटने के अपराध किए थे।
स्पेशल जज ने कुमार के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 302, 308, 323, 395, 397, 427, 436 और 440, 149 के तहत आरोप तय किए थे।
कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में पर्याप्त सामग्री है जिससे प्रथम दृष्टया यह राय बनती थी कि कुमार न केवल उस भीड़ में शामिल था जिसने मृतक के घर पर हमला किया था, बल्कि उसका नेतृत्व भी कर रहा था। हालांकि कोर्ट ने आईपीसी की धारा 201 (अपराध के सबूतों को गायब करना, या अपराधी को स्क्रीन करने के लिए झूठी जानकारी देना) और धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत आरोपों को हटा दिया।
केस टाइटल: राज्य बनाम सज्जन कुमार