भारतीय बच्चा गोद लेने के लिए विदेशी द्वारा अपने राजनयिक मिशन से NOC लेना अनिवार्य : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]
"रिट कोर्ट जेजे एक्ट की धारा 59 (12) की वैधानिक आवश्यकता को माफ नहीं कर सकती है।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विदेशी या किसी अन्य देश में रहने वाले व्यक्ति को भारत में बच्चा गोद लेने का अनुरोध के लिए किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2016 की धारा 59 (12) के तहत उस देश के राजनयिक मिशन से "अनापत्ति प्रमाण पत्र" की आवश्यकता है, जहां वो रहता है और इससे छूट नहीं दी जा सकती है।
उनका तर्क यह था कि हालांकि उन्होंने वर्ष 2016 में भारतीय बच्चों को गोद लेने के लिए आवेदन किया था, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों द्वारा एनओसी ना देने के कारण इसे रोक दिया गया है। उनके अनुसार ऑस्ट्रेलियाई कानून के तहत भारतीय बच्चे को गोद लेने के उद्देश्य से एनओसी पर जोर नहीं दिया जा सकता।
ऑस्ट्रेलियाई कानून के अनुसार अगर ऑस्ट्रेलियाई नागरिक कोई बच्चा लाता है जिसे उसके द्वारा अपनाया गया है, तब उसके बाद भारतीय कानूनों के अनुसार गोद लेने के बाद दिए गए वीजा के आधार पर ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा कार्रवाई की जाती है।
यह भी तर्क दिया गया था कि गोद लेने से पहले ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों से एनओसी पर जोर देना संभव नहीं है। उच्च न्यायालय ने इन सामग्रियों को नकारते हुए रिट याचिका को खारिज कर दिया। यह कहा गया था कि ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग ने विचाराधीन बच्चों को गोद लेने के लिए अपनी एनओसी प्रदान नहीं की है इसलिए न्यायालय इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।
पीठ ने कहा: "जेजे एक्ट और विशेष रूप से धारा 59 (12) के वैधानिक प्रावधानों के मद्देनजर रिट याचिका में मांगी गई राहत के लिए प्रार्थना की अनुमति नहीं दी जा सकती है। रिट कोर्ट जेजे एक्ट की धारा 59 (12) की वैधानिक आवश्यकता को माफ नहीं कर सकती।"
जैसा कि यह दलील देने का संबंध है कि उसने पहले से ही उन बच्चों के साथ बंधन बना लिया है और बच्चे भी उसे प्यार करते हैं।
पीठ ने कहा:
"इसमें कोई शक नहीं है कि याचिकाकर्ता ने बच्चों को प्यार और स्नेह के साथ अच्छी तरह से पाला होगा। याचिकाकर्ता को अभिभावक के रूप में पाकर दत्तक बच्चे भी भाग्यशाली होंगे। हमारे पास याचिकाकर्ता के लिए हर सहानुभूति है, लेकिन उनकी मदद करने में अपनी असमर्थता पर हमें खेद है।"