पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने विशाल ददलानी व तेहसीन पुनावाला को निर्देश दिया है कि जैन संत तरूण सागर का अपमान करने के मामले में दस-दस लाख रुपए दे
एक विचित्र कहे जा सकने वाले फैसले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने ट्वीटर पर जैन संत तरूण सागर का अपमान करने के मामले में विशाल ददलानी व तेहसीन पुनावाला पर दस-दस लाख रुपए हर्जाना लगाया है। हालांकि कोर्ट ने पाया है कि उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक केस रद्द होने के लायक है।
जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान ने कहा कि दोनों ने सिर्फ जैन मुनि का अपमान किया है बल्कि जैन धर्म के अनुयायियों की भावनाओं को भी आहत किया है। कोर्ट ने कहा कि हर्जाना इसलिए लगाया जा रहा है ताकि भविष्य में वह सोशल मीडिया जैसै ट्वीटर अपनी पब्लिसिटी के लिए किसी धर्म या संप्रदाय की मजाक न बनाए।
विशाल ददलानी ने अपने ट्वीट में तरूण सागर के बिना वस्त्र रहने के भेष की आलोचना की थी। साथ ही हरियाणा सरकार द्वारा तरूण सागर को विधानसभा में धर्म गुरू बताने के मामले की भी अलोचना की थी। तेहसीन पुनावाला ने वही जैन संत के साथ फोटोशाॅप के जरिए एक अर्धनग्न महिला की फोटो लगाकर अपलोड की थी। साथ ही उनके चरित्र की तरफ उंगली करते हुए उनकी तुलना एक वेश्या से की थी।
इस मामले में एक पुनीत अरोड़ा नामक व्यक्ति ने शिकायत दायर की थी,जिसके आधार पर दोनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए,153-ए व 509 और सूचना एवं तकनीकी अधिनियम 2000 की धारा 66ई के तहत केस दर्ज किया गया था।
इस मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करते हुए पीट ने निम्न तथ्यों का उल्लेख किया-
-शिकायत में ऐसा कुछ नहीं बताया गया कि शिकायतकर्ता जैन धर्म का अनुयायी है।
-विशाल ददलानी खुद जैन मुनी तरूण सागर के समक्ष उपस्थित हुए थे और उनसे अर्शिावाद मांगा। उन्होंने उसे माफ भी कर दिया। साथ ही ऐसा ही आदेश अपने अनुयायियों को भी दिया। जिसके बाद उनके किसी अनुयायी ने इनके खिलाफ केस दायर नहीं किया। इसके लिए न तो पुलिस के समक्ष कोई शिकायत दायर की गई और न ही कोर्ट में। न ही इस मामले में दर्ज प्राथमिकी के सहयोग में किसी अनुयायी ने कोई बयान दिया।
-प्राथमिकी को देखने के बाद पाया गया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए के तहत केस नहीं बनता है।
-प्राथमिकी को देखने के बाद यह भी पाया गया कि याचिकाकर्ताओं ने किसी ऐसी घृणा को बढ़ावा नहीं दिया है जैसा की आईपीसी की धारा 153-ए के तहत परिभाषित है।
- तेहसीन पुनावाला ने एक अनजान महिला की अर्ध-नग्न फोटो जैन मुनि तरूण सागर के साथ लगाते हुए कहा था कि अगर जैन मुनि नग्न चल सकते है तो क्यूं एक महिला को वेश्या कहा जाता है। परंतु इससे वह किसी महिला का अपमान नहीं करना चाहता था,जिससे कि आईपीसी की धारा 509 के तहत केस बन पाए।
- प्राथमिकी को देखने के बाद सूचना एवं तकनीकी अधिनियम 2000 की धारा 66ई के तहत भी कोई केस नहीं बनता है।
हालांकि विशाल ददलानी व तेहसीन पुनावाला पर हर्जाना लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि-
''पिछले कुछ सालों में इस देश में देखने में आया है कि बड़े स्तर पर उपद्रवी प्रदर्शन हुए है,जिनको उकसाने काम सोशल मीडिया के जरिए किया गया है। जिससे बड़े स्तर पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान भी हुआ है। हालांकि जैन मुनि तरूण सागर के प्रवचन अहिंसा,त्याग करने व माफ करने वाले रहे है,जिससे इस तरह के प्रदर्शन होने से रोकने में मदद मिली है। परंतु फिर भी यह उचित रहेगा कि दोनों याचिकाकर्ताओं-डडलानी व पोनावाला पर दस-दस लाख रुपए हर्जाना लगाया जाए। ताकि भविष्य में वह सोशल मीडिया जैसे ट्वीटर पर पब्लिसीटी पाने के लिए किसी धर्म की भावनाओं का मजाक न उड़ाए।''
पीठ ने तेहसीन पुनावाला को निर्देश दिया है कि पांच लाख रुपए तरूण क्रांति मंच ट्रस्ट,डिफेंस कालोनी,दिल्ली में जमा करा दे। यह ट्रस्ट स्वर्गवासी जैन मुनि तरूण सागर ने बनाई थी। वहीं बाकी कें पांच लाख रुपए चंडीगढ़ पीजीआईएमईआर में बनाए गरीब मरीज फंड में जमा कराए जाए।
वहीं विशाल ददलानी को पीठ ने निर्देश दिया है कि पांच लाख रुपए श्री दिग्ंबर जैन मंदिर ट्रस्ट सेक्टर-27,चंडीगढ़ व पांच लाख रुपए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट एडवोकेट वेल्फेयर फंड में जमा कराए।
पीठ ने कहा है कि एक सितम्बर 2019 से पहले हर्जाने की राशि जमा करा दी जाए,जिसके बाद प्राथमिकी व उससे जुड़ी सभी कार्यवाही रद्द कर दी जाएगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो इस याचिका को खारिज माना जाएगा।