मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ऑटिज़म से ग्रस्त बच्चों का सरकारी ख़र्चे पर इलाज कराने का आदेश दिया [आर्डर पढ़े]

Update: 2019-03-18 10:23 GMT

MP High Court

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह ऑटिस्टिक बच्चों को राज्य के ख़र्चे पर इलाज कराए।

न्यायमूर्ति एससी शर्मा और न्यायमूर्ति वीरेंदर सिंह ने एनजीओ से सामने आने और प्रत्येक ऑटिस्टिक बच्चों की मदद करने को कहा है।

कोर्ट ने तलाक़ के एक मामले की सुनवाई करते हुए यह बात कही। 'इस मासूम बच्चे की मुस्कान सच्चे रूप में स्वर्गिक थी जो कि किसी भी व्यक्ति के हृदय को पिघला सकती है," पीठ ने कहा।

इस दृश्य से विचलित कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव और खरगोन के ज़िला अधिकारी को निर्देश में कहा है कि वह इस बच्चे और इसी तरह के अन्य बच्चों को ज़रूरी चिकित्सा, अगर संभव हो सके तो सरकारी ख़र्च पर उपलब्ध कराए…"

ऑटिज़म हो सकता है कि चिकित्सा विज्ञान के लिए एक बीमारी हो पर प्रथम दृष्ट्या यह एक चाल-चलन की गड़बड़ी लगती है जिसे हम सब लोग प्यार और रोगी का ख़याल रखकर दूर कर सकते हैं। इसके बाद कोर्ट ने निम्नलिखित सुझाव दिए :

"मध्य प्रदेश राज्य जो कि जनता के विश्वास का रखवाला है, को अवश्य ही आगे आकर ऑटिस्टिक बच्चों के हित और उनके इलाज के लिए दिशानिर्देश तय करना चाहिए और हम इसी तरह का आग्रह देश के सभी एनजीओ से कर रहे हैं कि वदे आगे आएँ और ऑटिज़म से ग्रस्त प्रत्येक बच्चे की मदद करें…उर इन बच्चों को सशक्त करें जो कि हमारे देश के काल के प्रतिभाशाली और सक्षम नागरिक हैं।"


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