ईवीएम से छेड़छाड़ की संभावना है निराधार व अनुचित-गुजरात हाईकोर्ट [निर्णय पढ़े ]

Update: 2019-03-27 08:05 GMT

मंगलवार को गुजरात हाईकोर्ट ने एक वकील की उस याचिका को खारिज कर दिया है,जिसमें ईवीएम के ठीक से काम न करने व उससे छेड़छाड़ होने की आशंका जताई थी।

वकील खेमचंद राजाराम कोसती ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रूल 56(डी)(2) को चुनौती दी थी। इस रूल के तहत रिटर्निंग आफिसर के पास यह अधिकार होता है कि वह उस अजी को खारिज कर दे जिसमें प्रिंटर के ड्राॅप बाक्स में लगी पेपर स्लिप की गणना करने की मांग की गई हो। साथ ही मांग की थी कि ईसीआई को निर्देश दिया जाए कि प्रिंटिड पेपर स्लिप की जरूर गणना की जाए।

जस्टिस अनंत आर दवे व जस्टिस बिरेन वैष्णव की बेंच ने अपने विस्तृत फैसले में कहा कि ईवीएम के ठीक से काम न करने व उससे छेड़छाड़ होने की आशंका पूरी तरह निराधार व अनुचित है। इस मामले में बेंच ने भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) की तरफ से दायर रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि-हमें ईवीएम से किसी भी तरह की छेड़छाड़ न होने व उसकी विश्वसनीयता के मामले में आश्वासन दिया गया है। साथ ही कहा गया है कि पूरी प्रक्रिया विश्वसनीय है। इसका जिक्र दस जनवरी 2019 को ईसीआई से प्राप्त कम्यूनिकेशन में किया गया है। बेंच ने कहा कि ईसीआई जैसी संवैधानिक अॅथारिटी के आश्वासन पर इस फैसले में कुछ कहना या किसी तरह की रोक लगाना सही नहीं होगा।

बेंच ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग ईवीएम व वीवीपीएटीएस के जरिए जिस चरणबद्ध तरीके से चुनाव करवाता है,वह संविधान के इस अनुच्छेद के तहत अपने संवैधानिक दायित्वों को तकनीक का प्रयोग करते हुए सही से पूरा कर रहा है। ऐसे में याचिकाकर्ता द्वारा रिटर्निंग आफिसर को दिए गए अधिकारों पर किसी तरह से संदेह नहीं किया जा सकता है। रूल 56(डी)(2) के तहत साफ कहा गया है कि रिटर्निंग आफिसर किसी अर्जी को तभी खारिज कर सकता है,जब उसे लगे कि फर्जी अर्जी दायर की गई है। बेंच ने कहा कि बैलेट पेपर से मतदान करवाने में बहुत समय खर्च होता था। जिसमें मतदान से छेड़छाड़ होने या बूथ कैपचरिंग आदि की संभावना रहती थी। जबकि ईवीएम ने मतदान को काफी आसान बना दिया है,जो कि मतदाताओं के लिए बहुत अच्छी साबित हो रही है।

मतदाताओें को बैलोटिंग यूनिट का बस बटन दबाना होती है। वहीं ईवीएम से गलत वोट ड़ालने की संभावना भी कम हो गई है। जबकि बैलेट पपेर में अधिक्तर समय वोट खराब हो जाते थे। कई मामलों में जीतने वाले उम्मीदवार को मिले वोट से अधिक वोट तो खराब पाए जाते थे। जबकि ईवीएम ने मानवीय भूलों को कम कर दिया है और इसमें ज्यादा पारदर्शिता है। आयोग ने ईवीएम की कर्मियों को दूर करने के लिए कई बार इसके के ट्रायल किए है और ऐसा करने के लिए राजनीतिक दलों की भी इस काम में मदद ली है। 


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