जबरन यौन-संबंध है पत्नी की निजता में अवैध घुसपैठ या अनुचित हस्तक्षेप,माना जाएगा क्रूरता के समान-इलाहाबाद हाईकोर्ट [निर्णय पढ़े]

Update: 2019-05-27 06:05 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि जबरन सेक्स,अप्राकृतिक या प्राकृतिक,पत्नी की गोपनीयता में एक अवैध घुसपैठ या अनुचित हस्तक्षेप है और यह उसके पर क्रूरता करने के समान है।

जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने एक जिला अदालत के आदेश को उचित ठहराया है,जिसमें एक पत्नी द्वारा दायर तलाक की अर्जी को स्वीकार कर लिया गया था।

पीठ ने केरला हाईकोर्ट द्वारा बीनी टी.जोन बनाम साजी कुरूविला नामक मामले में दिए गए फैसले का हवाला दिया,जिसमें माना गया था कि प्रकृति के खिलाफ सेक्स करना,गुदा मैथुन,अप्राकृतिक सेक्स,मौखिक सेक्स एक वैवाहिक अत्याचार व अनैतिक है और विवाह के विघटन का एक आधार भी।यह भी कहा गया है कि वैवाहिक मामलों में आवश्यक प्रमाण का मानक वही है जो किसी सिविल मामले में आवश्यक है अर्थात प्रायिकता की संभावना या अभिसंभाव्यता की प्रबलता। कोर्ट ने कहा कि-

''अप्राकृतिक सेक्स,गुदा मैथुन,मौखिक सेक्स और प्रकृति के खिलाफ सेक्स किसी महिला,पत्नी या अन्य की मर्जी के खिलाफ करना एक आपराधिक अपराध ही नहीं है बल्कि वैवाहिक अत्याचार या अैनतिक भी है और यह एक महिला के खिलाफ क्रूरता करने के समान है,जो किसी शादी को खत्म करने के एक उचित आधार है। ऐसी कोई भी बात जो पत्नी का अनादर करती है,उसके शारीरिक व मानसिक तौर पर पीड़ा पहुंचाती है। यह पीड़ा क्रूरता है। जबरन सेक्स,अप्राकृतिक या प्राकृतिक, एक पत्नी की निजता में अवैध घुसपैठ या अनुचित हस्तक्षेप है,जो उस पर किए जाने वाली क्रूरता के समान है।''

तलाक की डिक्री की पुष्टि करते हुए कोर्ट ने कहा कि एक आपराधिक अपराध होने के अलावा,गुदा मैथुन या सोडोमी और अप्राकृतिक सेक्स का कार्य भी एक वैवाहिक अत्याचार या अनैतिक है और तलाक मांगने का आधार भी है।


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